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नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। पुलिस थानों में रखे जाने वाले जब्त माल और सबूत अब पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। भोपाल के टीटीनगर थाने में मध्यप्रदेश का पहला ई-मालखाना शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही राज्य में पुलिस साक्ष्यों की सुरक्षा व्यवस्था को डिजिटल करने की शुरूआत हो गई है। इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद थानों में रखे सबूतों से छेड़छाड़, गुमशुदगी और हेराफेरी की संभावनाएं लगभग समाप्त हो जाएंगी।
अब तक थानों में अपराध से जुड़े सामान, जैसे हथियार, नकदी, मोबाइल, नशीले पदार्थ, वाहन और अन्य साक्ष्यों को हाथ से लिखे रजिस्टरों में दर्ज किया जाता था। माल को पोटली या बक्से में बंद कर अलमारी में रखा जाता था। कई बार कीमती सामान के रख-रखाव में लापरवाही सामने आती थी, जिससे कोर्ट में पेशी के समय दिक्कतें आती थीं। दूसरे राज्यों में मालखानों से चोरी और हेराफेरी के मामले भी उजागर हो चुके हैं। इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए अब ई-मालखाना मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया गया है।
पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्र ने बुधवार शाम को टीटीनगर थाने में प्रदेश के पहले ई-मालखाना का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि टीटीनगर थाने से बदलाव की शुरूआत हो चुकी है और जल्द ही अन्य थानों में ई-मालखाना शुरू किया जाएगा। पुलिसकर्मियों के मोबाइल में ई-मालखाना एप डाउनलोड कराया गया है। जब भी कोई माल जब्त होगा, उसका पूरा विवरण डिजिटल रूप से इस एप में दर्ज किया जाएगा। इसमें माल का प्रकार, वजन, केस नंबर, जब्ती की तारीख, माल की फोटो, विवेचक का नाम, कोर्ट में पेशी की तारीख समेत अन्य बिंदुओं के माध्यम से जानकारी भरी जाएगी।
यह पूरी प्रक्रिया पूरी होते ही जब्त माल को यूनिक आईडी और क्यूआर कोड जारी किया जाएगा। यह क्यूआर कोड सीधे उस बक्से पर चिपकाया जाएगा, जिसमें माल रखा होगा। कोई भी अधिकृत पुलिसकर्मी मोबाइल से क्यूआर कोड स्कैन कर यह तुरंत जान सकेगा कि माल किस केस से जुड़ा है, कहां रखा है और कब कोर्ट में पेश किया जाना है।
ई-मालखाना का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब माल की लोकेशन की सटीक जानकारी एक क्लिक में मिल सकेगी। यदि कोई फरियादी अपने जब्त सामान को वापस लेने के लिए आवेदन करता है, तो केस नंबर डालते ही यह पता चल जाएगा कि उसका सामान किस थाने में, किस रैक या किस बक्से में रखा है। इससे वर्षों तक कोर्ट में लंबित मामलों के सबूतों की ट्रैकिंग भी आसान हो जाएगी।
इसके अलावा यह सिस्टम पुलिस की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ाएगा। कौन-सा माल कब थाने में आया, किसने लिया, कहां गया और कब कोर्ट में पेश हुआ - हर गतिविधि का डिजिटल रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा। इससे किसी भी तरह की लापरवाही या गड़बड़ी की जिम्मेदारी भी तय की जा सकेगी।
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