
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है जब स्नातक पाठ्यक्रम में होम्योपैथी से अधिक सीटें आयुर्वेद की रिक्त रह गई हैं। प्रवेश के लिए तीन चरण की काउंसलिंग के बाद शासकीय और निजी मिलाकर आयुर्वेद कॉलेजों में 1159 सीटें नहीं भर पाईं। होम्योपैथी और यूनानी कॉलेजों में में 47 रिक्त रह गई हैं।
जानकारों के अनुसार आयुर्वेद कालेजों की सीटें रिक्त होने का बड़ा कारण कॉलेजों की अधिक संख्या है। लगातार नए निजी कॉलेज खुल रहे हैं, पर बीएएमएस की डिग्री पूरी करने वाले डॉक्टरों में लगभग 10 प्रतिशत को ही शासकीय या निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिल पाते हैं।
एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय ने कहा कि आयुष (आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी) की 2007 सीटें खाली हैं। नीट पर्सेंटाइल कम से कम 10 प्रतिशत कम करने के साथ ही काउंसलिंग का एक और अतिरिक्त चरण कराने की आवश्यकता है। अभी स्ट्रे वैकेंसी चरण की काउंसलिंग चल रही है। इसमें रिक्त सीटें में 15 से 20 प्रतिशत ही भरी जाने के आसार हैं।
यह भी पढ़ें- ई-अटेंडेंस मामला: सरकार ने हाई कोर्ट से रिपोर्ट पेश करने का मांगा समय, 26 को अगली सुनवाई
एसोसिएशन की तरफ से केंद्रीय आयुष मंत्रालय, एमपी आयुष विभाग, आयुक्त आयुष को भी पत्र लिख रहे हैं। बता दें के आयुर्वेद के सात शासकीय और 32 निजी कॉलेज संचालित हो रहे हैं, जबकि होम्योपैथी का एक शासकीय और 19 निजी, यूनानी का एक शासकीय और तीन निजी कालेज संचालित हो रहे हैं।