नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने भोपाल रेलवे स्टेशन से 24.186 किलोग्राम विदेशी गांजे के साथ दो लोगों को पकड़ा है। ऐसी ही एक खेप बेंगलुरु में भी पकड़ी गई। ऑपरेशन वीड आउट के तहत हुई कार्रवाई में करोड़ों के हाइड्रोपोनिक गांजे (मारिजुआना) के साथ करीब एक करोड़ की नकदी पकड़ी गई। पांच तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। अब सामने आया है कि नशे की इस खेप को थाईलैंड से मंगाकर पंजाब भेजा जा रहा था। ऑपरेशन से जुड़े अधिकारी ने बताया कि भोपाल में पकड़े गए आरोपित पंजाब के हैं। ये 19 अगस्त को थाईलैंड से बेंगलुरु पहुंचे थे।
वहां अलग-अलग समूहों में पंजाब के लिए रवाना हुए, जिन दो लोगों को भोपाल में पकड़ा गया है, वे 19 अगस्त को राजधानी एक्सप्रेस में सवार हुए थे। उन्हें दिल्ली होकर पंजाब जाना था। खुफिया सूचना के आधार पर डीआरआई ने रेलवे सुरक्षा बल की मदद से 20 अगस्त को भोपाल स्टेशन पर उतार लिया। इसी समूह के दो तस्करों को उसी दिन बेंगलुरु से पकड़ा था। दिल्ली में भी एक गिरफ्तारी हुई थी।
बताया जा रहा है कि यह एक संगठित ड्रग सिंडिकेट की चेन है। यह सिंडीकेट बेरोजगार युवाओं को वेतनभोगी के तौर पर भर्ती करता है। उनको तस्करी का प्रशिक्षण देकर अवकाश पर थाईलैंड भेजा जाता है, वहां से गांजे की खेप मंगाकर राजधानी और शताब्दी जैसी वीआइपी ट्रेनों के जरिये पंजाब पहुंचाया जाता है।
एजेंसियों को आशंका है कि इसके पीछे सिमी, हिज्ब उत तहरीर (एचयूटी), जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) जैसे आतंकी संगठनों का नेटवर्क भी हो सकता है। यहां पहले इन संगठनों से जुड़े लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं।
3 अगस्त को सीहोर में दुर्घटनाग्रस्त बस से 16 किलो गांजा पकड़ा गया था। यह गांजा भोपाल होते हुए दिल्ली भेजा जाना था। 16 अगस्त को भोपाल के बाहरी क्षेत्र जगदीशपुर में एमडी ड्रग बनाने का कारखाना पकड़ा गया। वहां से 92 करोड़ का माल मिला था। दो महीनों से संचालित इस कारखाने में बनी नशीली दवा को दूसरे प्रदेशों में भेजा जा रहा था। अक्टूबर 2024 में औद्योगिक क्षेत्र बगरोदा में 1840 करोड़ की एमडी ड्रग और कच्चा माल पकड़ा गया था। ये तथ्य बता रहे हैं कि भोपाल देश में नशे की आपूर्ति का नया जंक्शन बनता जा रहा है।
इन वजहों से भोपाल में तस्करों की सक्रियता-विशेषज्ञों का कहना है कि भोपाल का इलाका राष्ट्रीय राजमार्ग-46, 146 और भोपाल-इंदौर-नागपुर कारिडोर से लगा हुआ है जो देश के पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण के प्रदेशों को आपस में जोड़ता है। भोपाल से लगे रायसेन, विदिशा, सीहोर, नर्मदापुरम, बैतूल और हरदा जिलों में सघन वन और अपेक्षाकृत कम निगरानी वाले इलाके हैं, जहां इस तरह की गतिविधियों के लिए आड़ उपलब्ध है। भोपाल के बाहरी इलाकों में बन रही नई कॉलोनियां, छात्रावास, फार्म हाउस, औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिकों की बड़ी आबादी के बीच नशे की मांग मौजूद है।
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मारिजुआना भारत में प्रतिबंधित है, लेकिन रेव पार्टियों में इसकी बहुत मांग है।-युवावस्था में इसका सेवन मस्तिष्क के विकास, याददाश्त और निर्णय क्षमता को नुकसान पहुंचाता है। -लंबे समय तक सेवन से डिप्रेशन व मानसिक बीमारियां बढ़ती हैं। आम धारणा के विपरीत इसकी लत भी लगती है, खासकर किशोरों में।