
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल: भोपाल में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था एक बार फिर चरमराती नजर आ रही है। तीन साल पहले महापौर मालती राय द्वारा जिन 77 सीएनजी बसों को हरी झंडी दिखाकर शुरू किया गया था, उनके पहिए अब एक महीने से थमे हुए हैं। भुगतान विवाद के कारण पिछले एक महीने से इन बसों का संचालन बंद पड़ा है।
सूत्रों के अनुसार, भुगतान विवाद सुलझ चुका है, लेकिन अब बसों का परमिट समाप्त हो गया है। बसों का संचालन दोबारा शुरू करने के लिए संबंधित कंपनी ने आरटीओ में परमिट नवीनीकरण के लिए आवेदन कर दिया है। परमिट रिन्यू होने के बाद ही बसें सड़कों पर उतरेंगी। फिलहाल बीसीएलएल (भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड) का कहना है कि दिसंबर तक लगभग 70 बसों को दोबारा चलाने की योजना है।
अब सवाल यह है कि जब दिसंबर में बसें दोबारा चलेंगी तो क्या साफ-सुथरी स्थिति में होंगी या कबाड़ जैसी हालत में? क्योंकि एक महीने से खड़ी रहने के कारण अधिकांश बसें जर्जर हो चुकी हैं। बीसीएलएल के डायरेक्टर मनोज राठौर ने बताया कि कंपनी से बातचीत जारी है और जल्द समाधान की उम्मीद है। वहीं, परिषद की पिछली बैठक में उन्होंने कहा था कि “डेढ़ साल पहले तक शहर में 368 बसें चलती थीं, लेकिन अब यह संख्या घटकर मात्र 60 रह गई है।”
कांग्रेस पार्षद योगेंद्र सिंह चौहान द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में डायरेक्टर राठौर ने स्वीकार किया कि पहले रोजाना 1 से 1.5 लाख यात्री इन बसों से सफर करते थे, जबकि वर्तमान में केवल 10 से 15 हजार यात्री ही इनका उपयोग कर पा रहे हैं।
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शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की यह दुर्दशा इस ओर इशारा करती है कि बीसीएलएल की कार्यप्रणाली में गंभीर खामियां हैं। लाखों रुपये वेतन और भत्तों में खर्च किए जा रहे हैं, जबकि बसें सड़कों से गायब हैं। नागरिकों का कहना है कि भोपाल जैसे बड़े शहर में बस सेवा ठप होने से आमजन को भारी परेशानी हो रही है। विद्यार्थियों, कर्मचारियों और वरिष्ठ नागरिकों को रोजाना यात्रा के लिए वैकल्पिक साधनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
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