नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। प्रदेश में नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव अब पार्षद नहीं सीधे मतदाता करेंगे। सरकार पार्षदों के माध्यम से चुनाव की व्यवस्था को समाप्त करके प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव की व्यवस्था लागू करने जा रही है।
इसके लिए अधिनियम में संशोधन अध्यादेश के माध्यम से किया जाएगा, जिसका प्रस्ताव मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।
इसके प्रभावी होने से वर्तमान अध्यक्षों को बड़ी राहत मिलेगी। उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव ही नहीं आ पाएंगे। प्रदेश के कुछ नगरीय निकायों में अध्यक्षों के विरुद्ध पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव दे दिए हैं या फिर इसकी तैयारी है।
अध्यक्षों का कहना है कि उनके ऊपर दबाव बनाने के लिए इस तरह के प्रयास हो रहे हैं। इससे विकास के कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। इसे देखते हुए पहले अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि तीन से बढ़ाकर साढ़े चार वर्ष करने पर विचार किया गया था लेकिन मुख्य सचिव अनुराग जैन ने इसे अव्यवहारिक बताते हुए लौटा दिया था।
इसके बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अधिनियम की धारा 47 को फिर से अस्तित्व में लाने के लिए संशोधन का प्रस्ताव बनाया, जिसे वरिष्ठ सचिव समिति की सहमति से विधि एवं विधायी विभाग भेजा गया था।
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विभाग ने इस पर सहमति जताई, जिसके बाद इसे मंगलवार को कैबिनेट की अनुमति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। प्रविधान अध्यादेश के माध्यम से लागू होंगे।
इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव औचित्यहीन हो जाएंगे क्योंकि फिर तीन चौथाई पार्षदों द्वारा अध्यक्ष के प्रति अविश्वास व्यक्त करने पर प्रस्ताव राज्य निर्वाचन आयोग के पास जाएगा और फिर वो खाली कुर्सी-भरी कुर्सी का चुनाव कराएगा, जिसमें गेंद पार्षद नहीं मतदाताओं के पाले में होगी। बैठक में इसके अलावा अन्य प्रस्तावों पर भी विचार होगा।
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