
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। ठंड बढ़ने के साथ ही प्रदेश के बड़े शहरों की हवा खराब होती जा रही है। भोपाल का 15 नवंबर का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 248 और ग्वालियर का 287 रहा जो संतोषजनक स्थिति (0 से 50) से लगभग पांच गुना है। इसे 'पुअर' यानी खराब श्रेणी में माना जाता है। एक सप्ताह से भी अधिक समय से यही स्थिति है। ठंड बढ़ने के साथ स्थिति और बिगड़ने की आशंका है।
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर में हर दिन पराली जलाने की 100 से 150 घटनाएं हो रही थीं, पर अब यह आंकड़ा 900 से ऊपर पहुंच गया है। गुरुवार को सैटेलाइट इमेज के माध्यम से पराली जलाने की 944 घटनाएं विभिन्न जिलों में दर्ज की गईं जो इस वर्ष की सर्वाधिक हैं। 14 नवंबर को 620 घटनाएं दर्ज की गई थीं। विज्ञानियों का कहना है कि ठंड में प्रदूषण फैलाने वाले तत्व वायुमंडल में ऊपर तक नहीं पहुंच पाते, जिससे नीचे-नीचे ही दूर तक फैलते हैं।
यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पराली जलाने से शहरी क्षेत्रों में हवा खराब हो रही है। देवास, इंदौर, जबलपुर और सागर का (एक्यूआइ) 100 से अधिक है जो मॉडरेट यानी मध्यम श्रेणी में माना जाता है। प्रदेश में सबसे अच्छी स्थिति दमोह की है जहां का AQI 35 है जबकि औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप और सिंगरौली 'वेरी पुअर' यानी बहुत खराब श्रेणी में हैं।
दरअसल, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश के 125 से अधिक शहरों को 'नॉन अटेनमेंट ' सिटी के रूप में चिह्नित किया है। ये वे शहर हैं जो प्रदूषण को कम करने के लिए निर्धारित मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। इसमें मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर ग्वालियर, जबलपुर, देवास, उज्जैन और सागर को शामिल किया गया है। साथ ही मंडल द्वारा प्रदूषण की दृष्टि से संवेदनशील 14 अन्य शहरों को शामिल किया गया है, जिसमें अधिकतर कारखाने या खदानों वाले जिले हैं।
धूल के स्वतंत्र कण पीएम-10, पीएम 2.5, नाइट्रस आक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाईआक्साइड, अमोनिया और ओजोन को मिलाकर औसत एक्यूआइ निकाला जाता है। भोपाल और ग्वालियर में एक्यूआइ बढ़ने का मुख्य कारण पीएम-10 और पीएम 2.5 का बढ़ना है।
ग्वालियर - 287
भोपाल - 248
जबलपुर - 159
देवास - 132
इंदौर - 116
सागर - 109
सिंगरौली - 317
मंडीदीप (रायसेन) - 316
कटनी - 198
नरसिंहपुर - 193
बैतूल - 184
दमोह, खरगोन, सतना और अनूपपुर।
0-50 -- अच्छा
51- 100 -- संतोषजनक
101- 200 -- मध्यम
201--300 -- खराब
301- 400 -- अति खराब
401- 500 -- गंभीर
जिला - घटनाएं
श्योपुर - 169
दतिया - 120
नर्मदापुरम - 110
सिवनी - 101
ग्वालियर - 80
जबलपुर - 68
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एम्प्री भोपाल (AMPRI Bhopal) के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. कीर्ति सोनी ने कहा कि ठंड के दिनों में हवा की गति और तापमान कम होने से वातावरण में वायुमंडलीय सीमा परत की ऊंचाई कम हो जाती है, जिससे प्रदूषण का फैलाव अवरुद्ध हो जाता है। प्रदूषण वायुमंडल की निचली परत में बंधकर रह जाते हैं। इसी मौसम में पराली और अलाव जलाने की घटनाएं होती हैं, जो प्रदूषण को और बढ़ा देती हैं।