
क्या कहा मंत्री ने
मंत्री ने बताया कि 2025-26 में 21,193 शासकीय माध्यमिक विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें 20 से कम विद्यार्थी हैं। वहीं 29,486 स्कूलों में छात्रों की संख्या 40 से कम है। प्रदेश के 8,533 स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, जबकि 28,716 स्कूलों में सिर्फ दो शिक्षक हैं।
बढ़ा बजट
वर्ष 2010-11 में स्कूल शिक्षा विभाग का बजट 6,374.25 करोड़ रुपये था, जो 2025-26 में बढ़कर 36,581.64 करोड़ रुपये हो गया है। वहीं शासकीय विद्यालयों में कक्षा 1 से 12 तक विद्यार्थियों की संख्या 2010-11 में 133.66 लाख थी, जो घटकर 2025-26 में 79.39 लाख रह गई। यानी कुल 54.27 लाख विद्यार्थियों की कमी हुई है।
मंत्री ने बजट बढ़ने के कारण के रूप में सातवें वेतनमान और महंगाई भत्ते को वजह बताया। जबकि विद्यालय और शिक्षक संख्या में कमी के पीछे शालाओं के मर्ज होने और शिक्षकों की सेवानिवृत्ति को कारण बताया गया। हालांकि, विद्यार्थियों की संख्या में भारी कमी को लेकर कोई कारण नहीं बताया गया।
वहीं मीडिया से बातचीत में विधायक प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि वर्ष 2014-15 में 82 लाख विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्ति दी गई थी, जो 2025-26 में घटकर 58 लाख रह गई। वर्ष 2013-14 में 93.7 लाख बच्चों को निश्शुल्क पाठ्यपुस्तकें और गणवेश वितरित किए गए थे, जबकि 2025-26 में यह संख्या घटकर 56.82 लाख रह गई। मध्यान्ह भोजन के लाभार्थी 75.75 लाख से घटकर 37.23 लाख और निश्शुल्क साइकिल योजना के लाभार्थी 3.29 लाख से घटकर 1.63 लाख रह गए।
सीबीआई जांच की मांग
ग्रेवाल ने सवाल उठाया कि स्कूल, शिक्षक, छात्र और सभी योजनाओं के लाभार्थी कम हो रहे हैं, फिर भी बजट कई गुना कैसे बढ़ गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सरकारी स्कूलों को बंद कर निजी स्कूलों को संरक्षण दे रही है और शिक्षा व्यवस्था शिक्षा माफिया के हाथों में जाती दिख रही है। उन्होंने पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।