नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। भोपाल के कुटुंब न्यायालय में बहुत संवदेनशील मामला पहुंचा है। एक मानसिक दिव्यांग बच्ची को उसके मां-बाप ही रखने के लिए तैयार नहीं है। चार साल की बच्ची अपनी मां के सहारे ही खा-पी सकती है, लेकिन मां ने उसकी जिम्मेदारी लेने से पल्ला झाड़ लिया है। पिता भी उसकी जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहता।
दरअसल, एक व्यवसायी दंपती ने कुटुंब न्यायालय में तलाक की याचिका लगाई है। माता-पिता ने बच्ची को जिम्मेदार ठहराया है। इसमें मां ने बच्ची को रखने से इनकार किया है तो पिता भी उसे साथ रखने के लिए तैयार नहीं है। मामले में काउंसलिंग कर फिलहाल बच्ची को पिता के साथ भेजा गया है, क्योंकि उसकी मां अलग रहने लगी है। इस मामले को लेकर हर कोई हैरान है। काउंसलर का कहना है कि पहली बार इस तरह का संवेदनशील मामला पहुंचा है। जिसमें अपने सगी बच्ची से माता-पिता ने मुंह मोड़ लिया है। इधर दंपती भी साथ रहना नहीं चाहते हैं।
मां ने कहा कि ससुराल वाले ताने देते हैं मां का कहना है कि उनकी शादी को करीब छह साल हुए हैं। शादी के बाद दो साल तक सब कुछ अच्छा चल रहा था। ससुराल वाले भी काफी मानते थे, लेकिन जब से बच्ची पैदा हुई है। तब से उसे ससुराल वाले ताने देते हैं और उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं। जिससे वह परेशान होकर मायके चली गई। मां का कहना है कि पति हमेशा ताने देते रहते हैं कि मेरे घर में ऐसा कोई नहीं है। तुम्हारे घर में ही ऐसा हुआ होगा।
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पिता ने कहा कि बच्ची का इलाज करा रहा है पिता का कहना है कि वह बच्ची को अकेले कैसे पालेगा। उनका कहना है कि उसने कभी बच्ची से मुंह नहीं मोड़ा है। वह उसका इलाज भी करवा रहा है, लेकिन फिर भी सुधार नजर नहीं आ रहा है। बच्ची को सबसे ज्यादा मां की जरूरत होती है, लेकिन उसकी मां उसे रखना नहीं चाहती है। वह भी पत्नी के साथ नहीं रहना चाहता है।
कुटुंब न्यायालय काउंसलर शैल अवस्थी ने कहा कि पहली बार काउंसलिंग के लिए इस तरह का संवदेनशील मामला आया है। इसमें माता-पिता दोनों मानसिक दिव्यांग बच्ची को अपने साथ रखना नहीं चाहते हैं। फिलहाल बच्ची को पिता के घर भेजा गया है। दंपती अलग होना चाहते हैं तो उन्हें फिर से काउंसलिंग के लिए बुलाया गया है।