
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। मध्य प्रदेश की सड़कों पर सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं। 108 एंबुलेंस सेवा कंपनी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 में जनवरी से अक्टूबर तक केवल 10 महीनों में प्रदेश भर में 1,23,863 सड़क दुर्घटना के मामले दर्ज किए गए हैं। इन हादसों में सबसे बड़ा शिकार प्रदेश की युवा पीढ़ी बनी है।
डेटा के अनुसार, कुल दुर्घटनाओं में से 61 प्रतिशत (यानी 75,661 मामले) अकेले 15 से 30 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों के साथ हुए हैं। यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि तेज रफ्तार, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी और लापरवाही अब सबसे ज्यादा युवाओं की जान पर भारी पड़ रही है। सड़क सुरक्षा जागरूकता की सबसे अधिक आवश्यकता इसी वर्ग में है।
दुर्घटनाओं के मामले में मध्य प्रदेश के बड़े शहर लंबे समय से 'हॉटस्पॉट' रहे हैं, लेकिन इस बार सागर जिले ने सभी को पीछे छोड़ दिया है। सागर में 10 महीने में 6,704 हादसे दर्ज किए गए, जो इसे राज्य में पहले स्थान पर रखता है।
इसके बाद वाणिज्यिक राजधानी इंदौर और प्रशासनिक राजधानी भोपाल का नंबर आता है। इंदौर और भोपाल जैसे महानगरों में यातायात घनत्व अधिक होने से दुर्घटनाएं बढ़ी हैं, वहीं सागर जैसे जिलों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर तेज रफ्तार और लापरवाही बड़े हादसों की वजह बन रही है।

रिपोर्ट के आधार पर मई 25 में सर्वाधिक 15,193 दुर्घटनाएं हुईं, जो गर्मी के मौसम में यातायात और लापरवाही में वृद्धि को दर्शाता है। वहीं, जून और जुलाई के महीनों में संख्या में गिरावट आई। जुलाई में यह आंकड़ा 9,743 तक गिर गया, संभवतः मानसून के कारण धीमी गति और कम आवाजाही इसकी वजह हो सकती है।
हमने देखा है कि जिन मामलों में सीट बेल्ट और हेलमेट का उपयोग नहीं किया जाता, उनमें मरीज को गंभीर चोट लगने की संभावना काफी बढ़ जाती है। ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए वाहन चलाएं। किसी भी आपात स्थिति में जीवन रक्षक उपकरणों और प्रशिक्षित स्टाफ से लैस 108 एंबुलेंस को तुरंत कॉल करें। - तरुण सिंह परिहार, सीनियर मैनेजर, मध्य प्रदेश 108 एंबुलेंस सेवा