भरत शर्मा-कृष्ण कुमार द्वेदी, नईदुनिया, छतरपुर: पारंपरिक खेती में अगर कोई किसान बदलाव कर कुछ नवाचार कर देता है या खेती की पद्धति को बदल देता है तो नुकसान देने वाली जमीन फायदा देने लगती है। ऐसा ही नवाचार और खेती में बदलाव छतरपुर के कुछ किसानों ने किया और अब बड़ा लाभ कमा रहे हैं। साथ ही उनका व्यापार भी तेजी से बढ़ रहा है।
हम बात कर रहे हैं छतरपुर जिले के महाराजपुर निवासी रविंद्र पटेल की, जो राजनीति और ठेकेदारी छोड़कर अब एक बड़े किसान बन गए हैं। इतना ही नहीं जिले के एक और किसान ने भी खेती में मुनाफा खोज निकाला है।नेगुआं के गिरजा प्रसाद की बंजर जमीन फलों से भरी हुई नजर आती है।
दोनों ही किसानों ने पारंपरिक खेती में बदलाव कर सरकार की योजनाओं के माध्यम से इसे एक बड़े व्यापार के रूप में बदलने का काम किया। अब यह दोनों ही किसान हर साल लाखों रुपए कमा रहे हैं। इनसे प्रेरित होकर अन्य किसान भी जैविक और उद्यानिकी से जुड़ी खेती को अपना रहे हैं। इलाके में कभी बंजर नजर आने वाली जमीन अब फसलों और सब्जियां से भरी रहती है।
एक एकड़ में नेट शेड लगाया और शुरू की खेती
किसान रविंद्र पटेल पहले राजनीति में सक्रिय थे और ठेकेदारी भी करते थे। लेकिन उन्होंने सुस्त पड़ी खेती में कुछ नया करने की ठानी तो राजनीति और ठेकेदारी छोड़ खेतों में उतर आए। पहले की तरह पारंपरिक खेती नहीं बल्कि उन्होंने उद्यानिकी विभाग से एक एकड़ जमीन पर नेट शेड पास कराया और खेती शुरू की।
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इस नेट शेड की कुल लागत 34 लाख रुपए आई, जिसमें से 50 प्रतिशत यानी 17 लाख रुपए उद्यानिकी विभाग से अनुदान के रूप में प्राप्त हुए। अगस्त 2025 में रविंद्र पटेल ने इस एकड़ में ककड़ी, नैना, टमाटर, बैगन, मूली, धनिया पत्ती और बींस की बुवाई की। पहली फसल में उन्होंने 4.50 लाख रुपए का मुनाफा कमाया। अब उत्पादन सीधे नौगांव के व्यापारी खेत से ही खरीदकर ले जाते हैं।
बंजर जमीन पर उगाए फलदार पेड़, सालाना आय 80 हजार बढ़ी
छतरपुर जिले के नेगुवा के किसान गिरजा प्रसाद पाठक ने अपनी सूझबूझ और नवाचार से खेती की तस्वीर ही बदल दी है। आम तौर पर बंजर खेतों में जानवर चराने के बाद खेत बेकार पड़े रहते हैं। चार साल पहले उन्होंने हैदराबाद से हाइब्रिड पौधे मंगवाकर खेत पर अमरूद, आम, सीताफल, नींबू, मौसम्मी, चीकू, अनार और जामुन के करीब 300 पौधे लगाए। आज ये पौधे न केवल घनी हरियाली दे रहे हैं, बल्कि फल भी देने लगे हैं। इससे उन्हें हर साल अमरूद और अन्य फलों से 80-90 हजार रुपए तक का अतिरिक्त मुनाफा होने लगा है।
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जमीन खराब नहीं तरीका बदलना होगा
छतरपुर जिले में करीब ढाई लाख किसान खेती कर रहे हैं। जो पारंपरिक रूप से खेती करते हैं। पांच से दस फीसदी ही किसान ऐसे हैं जो खेती में नवाचार करके खेती को लाभ का धंधा बना रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जमीन कोई खराब नहीं हाेती बस खेती के तरीके को बदलने की जरूरत है। छतरपुर जिले में राजनगर, छतरपुर के कुछ गांव और महाराजपुर क्षेत्र में किसान जैविक खेती की ओर बढ़े हैं। गढ़ा गांव में करीब एक दर्जन किसान फूलों की खेती से जुड़कर हर महीने हजारों रुपए कमा रहे हैं।