
नवदुनिया प्रतिनिधि, गुना। कानपुर से इंदौर जा रही यात्री बस शुक्रवार सुबह करीब छह बजे गुना जिले के बीनागंज बायपास पर अनियंत्रित होकर पलट गई। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि 14 यात्री घायल हो गए। इनमें से दो घायलों को भोपाल रेफर किया है।
बताया गया है कि बस ड्राइवर को नींद की झपकी आ गई थी, जिससे बस अनियंत्रित हो गई थी। इधर, हादसे की सूचना मिलते ही कलेक्टर किशोर कन्याल और एसपी अंकित सोनी भी घटनास्थल पहुंचे हैं।
गुना शहर में करीब पखवाड़े पूर्व ई-स्कूटर सवार युवतियों ने एक चाय दुकानदार को शहर के हनुमान चौराहा पर टक्कर मार दी थी, जिसकी बुधवार देर रात इलाज के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने गुरुवार सुबह चाय दुकानदार के शव का पीएम कराया है। चाय विक्रेता घर में अकेला कमाने वाला था। टक्कर मारने के बाद युवतियां स्कूटर लेकर भाग गई थीं। जानकारी के अनुसार अन्नपूर्णा कालोनी निवासी रामू पुत्र स्व. देवीलाल चौरसिया हनुमान चौराहा पर चाय की दुकान का संचालन करते थे।
करीब 15 दिन पहले दोपहर के समय वह चाय बेचकर अपनी दुकान पर वापस जा रहे थे। इसी दौरान पीजी कालेज तरफ से ई-स्कूटर पर सवार तीन युवतियों ने तहसील कार्यालय के सामने रामू को टक्कर मार दी थी, जिससे वह घायल हो गए थे। इधर, युवतियां अपना ई-स्कूटर लेकर मौके से भाग गई थीं। इसके बाद आसपास के दुकानदारों ने किसी तरह रामू को जिला अस्पताल उपचार के लिए पहुंचाया। उन्हें हाथ में दो और पैर में एक जगह फ्रैक्चर हुआ था। इसके बाद रामू को उच्च उपचार के लिए डाक्टरों ने भोपाल भेज दिया था।
पैसे न होने से भोपाल से लौट आए थे: रामू के चचेरे भाई सुनील चौरसिया ने बताया कि उनके भैया को भोपाल में रुपये न होने के कारण एक दिन बाद ही गुना लौटा लाए थे। उनके पास आयुष्मान कार्ड भी नहीं था। कुछ दिन में आयुष्मान कार्ड बना, तो शहर के एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन कराए, लेकिन निजी अस्पताल संचालक ने एक दिन में ही छुट्टी कर दी। जबकि रामू को दुर्घटना के बाद से ही सीने में दर्द हो रहा था। बावजूद न तो जिला अस्पताल और न ही निजी अस्पताल में किसी डॉक्टर ने सीने संबंधी समस्या का इलाज किया।
बीते दिन उनकी तबीयत बिगड़ने पर जिला अस्पताल ले गए, जहां मौत हो गई। रामू के दो छोटे बेटे एक 12 और एक छह वर्ष का है। वह चाय की दुकान का संचालन कर परिवार पालते थे। वह अन्नपूर्णा कॉलोनी में किराए के घर में रहते थे। सुनील ने बताया कि दुर्घटना के समय जिला अस्पताल में पुलिस ने केवल बयान लिए थे, जबकि युवतियों की स्कूटर का नंबर भी पुलिस को दिया था, बावजूद आज तक एफआइआर दर्ज नहीं की गई।