
MP Chachoda Vidhan Sabha: ध्रुव झा, चांचौड़ा (गुना)। चांचौड़ा विधानसभा क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा गांवों में ही बसता है। ग्रामीण इलाकों में विकास का पहिया कुछ घूमा तो है, पर काम की पूरी गुंजाइश अब भी बनी ही हुई है। लोगों की उम्मीद थी कि चांचौड़ा जिला बन जाएगा तो विकास में तेजी आएगी, लेकिन उनकी यह उम्मीद अब तक पूरी नहीं हुई है। जलसंकट यहां बड़ा मुद्दा है। नगरीय क्षेत्र में एक दिन छोड़कर पेयजल आपूर्ति लोगों को बहुत सताती है। जलसंकट का कारण स्थानीय खानपुरा सिंचाई परियोजना और शहरी पेयजल योजना का अधर में होना है। गल्ला मंडी नगर से बाहर शिफ्ट होने और स्थाई बस स्टैंड नहीं होने से हर दिन जाम के हालात से जूझने को तो क्षेत्रवासी जैसे अपनी आदत में शामिल कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अनुज, कांग्रेस के कद्दावर नेता लक्ष्मण सिंह चांचौड़ा से 2018 के चुनाव में विधायक चुने गए। इसके साथ ही कांग्रेस की सरकार भी बन चुकी थी।
इस दौरान उन्होंने कानून व्यवस्था और मूलभूत सुविधाओं पर काम किया। लक्ष्मण सिंह का दावा है कि चांचौड़ा को जिला बनाना उन्होंने अपनी प्राथमिकता में रखा। इसके साथ ही कमल नाथ सरकार में इसकी फाइल भी बढ़ी, लेकिन उसके बाद प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। इसी बीच कमल नाथ सरकार गिर गई, भाजपा सत्ता में आ गई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। मतदाताओं की सबसे बड़ी चिंता रोजगार है। रोजगार के लिए ग्रामीणों का पलायन जारी है।
विधानसभा क्षेत्र की बड़ी समस्या सिंगल लेन चांचौड़ा-राजगढ़ रोड है। आमासेर के पूर्व सरपंच पहलवान सिंह बताते हैं कि इस सड़क का दोहरीकरण हो जाए तो करीब दो दर्जन गांवों को लाभ मिलेगा।
स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, कृषि के क्षेत्र में लगाई विधायक निधि
विधायक लक्ष्मण सिंह ने अपनी निधि का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, कृषि क्षेत्र में खर्च किया है। कोविड काल में तीनों ब्लाक में 25 लाख रुपये अस्पतालों को कोविड से लड़ने के लिए दिए गए। 15 लाख की एंबुलेंस कुंभराज अस्पताल को दी गई। इसी तरह 30 से 40 लाख रुपये सालाना स्कूलों में फर्नीचर, बाउंड्रीवाल और कंप्यूटर के लिए खर्च किए। 20 लाख रुपये सालाना ग्राम पंचायतों में सांस्कृतिक भवन (सामुदायिक भवन) निर्माण के लिए दिए गए। वहीं किसानों के लिए हर साल 50 लाख रुपये के मान से चार साल में लगभग दो करोड़ रुपये की डीपी गांवों में रखवाई गई। पार्कों के लिए भी 25 लाख रुपये की कुर्सियां दी गईं। नगरीय और ग्राम पंचायतों में 75 लाख रुपये के पानी के टैंकर उपलब्ध कराए गए, ताकि पेयजल समस्या से राहत मिल सके।
बाहरी हैं, लेकिन क्षेत्र में रहते हैं सक्रिय
विधायक लक्ष्मण सिंह राघौगढ़ में रहते हैं। यह विधानसभा की सीमा से सटा है। ऐसे में विपक्ष विधायक के बाहरी होने के आरोप लगाता है, लेकिन विधायक क्षेत्र में सक्रिय रहकर इसका तोड़ निकालते हैं। रामदास सिंह, विजय सिंह मीना आदि बताते हैं कि विधायक की सक्रियता की बात करें तो उन्होंने ग्रामीणों से संपर्क में रहने के लिए गांवों में रात तक बिताई है। उन्होंने खेलों और बैठकों के माध्यम से विधायक निरंतर सक्रिय रहे हैं।
क्षेत्र में पानी की समस्या का समाधान तलाशने की दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। नगर के महेंद्र सोनी बताते हैं कि नगर परिषद की मुख्यमंत्री पेयजल योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है, वहीं खानपुरा सिंचाई परियोजना पर भी काम नहीं हो पाया है। यही वजह है कि लोगों को एक दिन छोड़कर पानी नसीब हो रहा है। यदि पार्वती और घोड़ापछाड नदी परियोजनाएं शुरू की जाएं तो क्षेत्र को पानी की समस्या से निजात मिल सकती है।
मैंने विधानसभा में 100 प्रतिशत उपस्थिति के साथ क्षेत्र की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए रोजगार मेलों का आयोजन किया गया। खेल प्रतियोगिताओं को बढ़ावा दिया गया। सिंचाई के लिए बोरकाखेड़ा और फतेहपुर तालाब, बिजली की समस्या दूर करने चार विद्युत सब स्टेशन, गांवों में सड़कों और उपस्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण कराया। क्षेत्र में कानून व्यवस्था में सुधार और अपराध पर लगाम कसने की दिशा में काम किया। इसके अलावा किसानों को बिजली की समस्या से मुक्ति दिलाने सौर ऊर्जा से जोड़ने की इच्छा है, ताकि अन्नदाता आर्थिक रूप से मजबूत हों और बिजली विभाग पर उनकी निर्भरता खत्म हो। - लक्ष्मण सिंह, विधायक
चांचौड़ा विधानसभा विकास के मामले में पांच साल पिछड़ गया है। कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। मेरे कार्यकाल में जो कार्य मंजूर हुए थे, उनका ही लोकार्पण किया गया है। इसकी सबसे बड़ी वजह विधायक का प्रवासी होना है। वे राघौगढ़ में रहते हैं। ऐसे में उनकी क्षेत्र में उपस्थिति कम ही रहती है। - ममता मीना (पूर्व विधायक व पिछले चुनाव में पराजित भाजपा प्रत्याशी)