
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। बगैर नागरिकता के मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़े जाने की कार्रवाई पुलिस और प्रशासन की ओर से लगातार जारी है। जिन्हें पकड़ा गया है, अब उन्हें वापस बांग्लादेश भेजने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। शनिवार को ऐसे नौ लोगों को ग्वालियर से बंगाल के हावड़ा के लिए रवाना किया गया।
इनके बांग्लादेशी होने की पुष्टि हो गई थी। नौ में से आठ लोग एक ही परिवार के सदस्य हैं। यह पूरा परिवार ग्वालियर में ही आकर बस गया। 12 साल पहले इस परिवार को मुखिया आया, जिसने बाद में अपने बेटा-बहू को भी बुला लिया। फिर पूरा परिवार यहीं बस गया। मुखिया की यहां मौत भी हो चुकी है। बाकी पूरा परिवार यहीं रह रहा था। सालों बाद अब इन्हें वापस इनके वतन भेजा जा रहा है। शनिवार सुबह आठ बजे बस से इन लोगों को रवाना किया गया।
ग्वालियर से हावड़ा की दूरी करीब 1300 किलोमीटर है। शनिवार को रवाना हुए और रविवार तक ये लोग वहां पहुंचेंगे। नौ लोगों के रवाना होने के बाद अब ग्वालियर में एक बांग्लादेशी महिला बची है। यह महिला पड़ाव क्षेत्र में श्रुति इंक्लेव में किराए के फ्लैट में रह रही थी। आकर पूरा कुनबा ही बसा लिया जिस आठ सदस्यीय परिवार को बांग्लादेश वापस भेजा गया है, उसका मुखिया नूर मोहम्मद बांग्लादेश के जोसोर जिले के रजगढ़ थाना क्षेत्र के नौपड़ा गांव से ग्वालियर आने के कुछ समय बाद ही अपने बेटे मोहम्मद शरीफ को ले आया, फिर शरीफ अपनी पत्नी लिलिमा और बड़ी बेटी चुमकी को ले आया।
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यहां उसकी छोटी बेटी अदोरी का जन्म भी हुआ, जो अब आठ वर्ष की है। कुछ समय बाद शरीफ ने बड़ी बेटी की शादी बांग्लादेश से रातुल शेख को बुलाकर यहीं ग्वालियर में कर दी। उससे एक बेटा ग्वालियर में ही जन्मा। इसका नाम उज्जवल रखा है, जो ढाई वर्ष का हो चुका है। इसके बाद शरीफ का बेटा रहीम तरफदार ओर साला आशिक भी बांग्लादेश से यहां आकर रहने लगे। इस बीच, कुछ समय पहले इस परिवार के मुखिया नूर मोहम्मद की बावड़ी में गिरकर मौत हो गई थी।
ग्वालियर के गोविंदपुरी में किराए के फ्लैट में रह रही बांग्लादेश के ढाका की रहने वाली महिला को पुलिस ने छह दिन पहले पकड़ा था। उसके मुताबिक, ढाका में पति मारपीट करता था, इसलिए गुरुग्राम में रह रहे अनीस शेख से संपर्क हुआ। वह नौकरी के लिए डेढ़ साल पहले ग्वालियर लाया और देह व्यापार में धकेल दिया। उसने चार हजार रुपए में सीमा पार कर ली थी। वह बांग्लादेश जाना नहीं चाहती थी। वापस भेजे जाने के दौरान पुलिस से बोल रही थी- मत भेजो, वहां नरक की जिंदगी है।