
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने अति उच्च वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइनों की निगरानी के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग शुरू किया है। इससे निर्वाध बिजली आपूर्ति की दिशा में काफी मदद मिल रही है। दावा किया गया कि करीब 50 प्रतिशत फॉल्ट ड्रोन तकनीक ने पता लगाए हैं, जिससे औद्योगिक और घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली कटौती से निजात मिली।
ड्रोन पेट्रोलिंग की इस पहल से श्योपुर जिले की कराहल तहसील के साथ ग्वालियर और शिवपुरी के कई क्षेत्रों में संभावित विद्युत आपूर्ति बाधित होने से बची। एमपी ट्रांसको ने दुर्गम भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित ट्रांसमिशन टावरों के रख-रखाव के लिए वर्ष 2022 में प्रायोगिक तौर पर ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया था। शुरुआत घने जंगल, दुर्गम पहाड़ और नदी-नालों के बीच स्थित 90,000 ईएचवी ट्रांसमिशन टावरों में से 10,000 टावरों की नियमित ड्रोन पेट्रोलिंग की गई। वर्ष 2025 में इसका दायरा बढ़ाकर 23,000 टावरों तक कर दिया गया। प्रदेश में ड्रोन से निगरानी में 523 मेजर फॉल्ट मिले थे, जिन्हें समय रहते दुरुस्त कर लिया गया।
जिले के लगभग 1,097 टावरों पर ड्रोन से निगरानी की जा रही है। 117 टावर पर मेजर और 678 पर माइनर फॉल्ट मिले। इनमें इंसुलेटर, क्लेंप खराब व कंडक्टर क्षतिग्रस्त जैसी समस्याएं तत्काल दुरुस्त की गईं। यदि ये फॉल्ट समय पर ठीक नहीं होते, तो ग्वालियर, शिवपुरी और श्योपुर जैसे क्षेत्रों में लंबे समय तक बिजली गुल हो सकती थी। ड्रोन की हाई-रिजाल्यूशन विजुअल और थर्मल स्कैनिंग से छोटे से छोटे फॉल्ट को भी समय पर पकड़ना संभव है।
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ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि ड्रोन आधारित पेट्रोलिंग व्यवस्था ने पारेषण तंत्र की विश्वसनीयता बढ़ाई है। इस तकनीक से समय पर समस्या का निराकरण किया जा रहा है। इसका दायरा आगे और बढ़ाया जाएगा।