नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। 22 सितंबर से जीएसटी में हुए बदलाव लागू हुए। इसके बाद लोगों को राहत मिलनी थी। लेकिन पांच से पचास रुपये के बीच की कीमत वाले विभिन्न पैकेट्स पर इस छूट का असर बाजार में नहीं है। क्योंकि इन सभी पैकेट्स पुरानी रेट के हैं और उन पर एमआरपी ही लिखी हुई है। दुकानदार एमपीआरपी पर ही इन्हें बेच रहे हैं, ऐसे में ग्राहकों को राहत नहीं मिल रही है। यदि कोई ग्राहक जीएसटी छूट की बात कह भी दे तो पूरा मामला खुल्ले पैसों पर आ जाता है।
जीएसटी कम होने के बाद छोटे पैकेट्स पर बचत पैसों में हो रही है, और बाजार में पैसे अब चलन में नहीं है। ऐसे में लोगों को मन मारकर पूरी एमआरपी देना ही पड़ती है। मतलब दो दशक से भी ज्यादा समय से पांच रुपए में मिलने वाला पारले जी बिस्किट का छोटा पैक अब 4.47 रुपये का हो गया। अब दिक्कत ये है कि दुकानदार आपको बाकी के 53 पैसे लौटाए कैसे? यही हाल दूसरे प्रोडक्ट्स का है। अब सवाल यह है कि इसका हल कैसे निकलेगा?
टॉफी, शैंपू और चिप्स के पैकेट भी पांच से 20, 30 व 50 रुपये के बीच में आ रहे हैं। दो रुपए वाला शैंपू अब 1 रुपए 77 पैसे का हो गया, और 1 रुपए की टॉफी 88 पैसे की। जीएसटी कम होने से चीजें थोड़ी सस्ती हुईं, ग्राहक को राहत नहीं मिल रही है। अब सवाल है कि बाकी के पैसे का क्या होगा? ये बचत है या सिरदर्द? अब लेनदेन कैसे होगा? इसका एक उपाय यूपीआई या ई वालेट से भुगतान कर हो सकता है। लेकिन नगद में नहीं हो सकता। हर व्यक्ति ई वालेट या यूपीआई से इतनी छोटी रकम का भुगतान भी नहीं करता।
पारले का पांच रुपये का पैकेट अब 4.77 रुपये का है। अब 33 पैसे ग्राहक को कैसे मिलें।
बॉर्नविटा का 30 रुपये का पैकेट अब 26 रुपये 69 पैसे का है, यहां 26 रुपये का तो भुगतान हो सकता है लेकिन न तो 69 पैसे उपभोक्ता के पास होंगे ओर न ही 27 रुपये लेने के बाद 31 पैसे लौटाने के लिए दुकानदार के पास।
फाइव स्टार जैसी चाकलेट्स 20 से घटकर 17 रुपए 80 पैसे में मिल रही हैं।
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ऐसे में यहां भी खुल्ले पैसे की समस्या होगी। कंपनियां नए पैक कैसे करेंगी अभी तक यह साफ नहीं अभी तो बाजार में पुराना स्टॉक चल रहा है। लेकिन कंपनियां अपने नए स्टॉक को किस तरह से भेजेंगी, अभी तक साफ नहीं है। सरकार की भी कोई स्पष्ट नीति नहीं है। कंपनियां एमपीआरपी तो राउंड फिगर में रखेंगी। ऐसे में वे पैकेट में वजन या मात्रा बढ़ाएंगी या अन्य कोई उपाय करेंगी। ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि नया स्टॉक आने पर उन्हें फायदा मिलेगा या नहीं।
सीए आशीष पारिख का कहना है कि अभी बाजार में पुराना स्टाक है। बड़े मार्ट व रिटेल स्टोर्स पर तो जीएसटी की छूट मिलना शुरू हो गई है। यहां पर यदि कोई एक साथ सामान खरीद रहा है तो उसे अच्छी बचत हो रही है। लेकिन ऐसे मॉल या स्टोर में हर कोई नहीं जाता। गली मोहल्ल से लेकर बाजार की दुकानों से ही लोग सामान खरीदते हैं, वहां पर नए स्टॉक के आने तक दुकानदार ही फायदा उठाएंगे, आम उपभोक्ता को राहत नहीं मिलेगी। ऐसे में असर यह होगा कि लोग इन दुकानों से सामान खरीदने की जगह माल या रिटेल स्टोर से खरीदेंगे। एक बार ग्राहक यदि दूसरी जगह चला गया तो फिर छोटे दुकानदारों को परेशानी आएगी।