नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। शादी से पहले उम्र और बीमारी की जानकारी छिपाना अब वधू पक्ष के लिए कानूनी मुसीबत बन गया है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने ऐसे ही एक मामले में वधू सीमा राजावत (परिवर्तित नाम), उसकी मां, बहन, जीजा और विवाह कराने वाले मध्यस्थ सहित सभी संबंधितों से जवाब तलब किया है और पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया जाए।
मामला ग्वालियर की पुष्कर कालोनी निवासी राधा भदौरिया (परिवर्तित नाम) द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है। उन्होंने अपने अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की। याचिकाकर्ता के अनुसार, उनके पति एसएएफ ग्वालियर में सब इंस्पेक्टर पद पर पदस्थ हैं। उनके बेटे राम भदौरिया (परिवर्तित नाम) की शादी 19 जनवरी 2019 को खजुराहो निवासी सीमा राजावत से कराई गई थी। यह शादी डीआरपी लाइन ग्वालियर में पदस्थ राहुल सिंह भदौरिया (परिवर्तित नाम) (जो बहू के जीजा और विवाह के मध्यस्थ हैं) के माध्यम से तय हुई थी। शादी के समय वधू पक्ष ने सीमा की जन्मतिथि 1991 बताई थी, जबकि बाद में दस्तावेजों से पता चला कि उसकी वास्तविक जन्मतिथि 1988 है। इस प्रकार सीमा अपने पति से दो वर्ष बड़ी निकली।
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इसके अलावा याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उनकी बहू डिप्रेशन की मरीज थी और शादी से पहले ही उसका इलाज ग्वालियर के न्यूरोलाजिस्ट डॉ. अरविंद गुप्ता के यहां चल रहा था। शादी के बाद भी उसका इलाज जारी रहा, और बीमारी के कारण उसका व्यवहार उग्र व असामान्य हो गया, जिससे परिवार का माहौल अशांत हो गया। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में थाना गोला का मंदिर और पुलिस अधीक्षक ग्वालियर को शिकायत दी, पर कार्रवाई न होने पर उन्होंने जिला न्यायालय में धोखाधड़ी का मामला दायर किया।
जिला न्यायालय ने याचिका यह कहते हुए निरस्त कर दी कि यह मामला निर्धारित समय सीमा के बाद दाखिल किया गया। हाई कोर्ट में अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि समय सीमा की गणना शादी की तारीख से नहीं, बल्कि अपराध की जानकारी मिलने की तारीख से की जानी चाहिए। याचिकाकर्ता को बहू की वास्तविक उम्र और बीमारी की जानकारी साल 2020 में मिली थी, और उसी वर्ष उन्होंने मामला दर्ज कराया था। हाई कोर्ट ने इस तर्क से सहमति जताते हुए वधू सीमा राजावत, उसकी मां, बहन, जीजा सहित इस शादी से जुड़े सभी रिश्तेदारों को नोटिस जारी किए हैं। कोर्ट ने सभी से चार सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।