
Love Story of Raja Man singh: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। यूं तो इतिहास में तमाम ऐसी कई अमर प्रेम कहानियां हुईं, जिनका साक्षी पूरा देश बना। इन प्रेम कथाओं की महक के बीच शामिल है ग्वालियर शहर की प्यार की कहानी की खुशबू..। इस कहानी में केवल प्रेम ही नहीं, बल्कि सौंदर्य और शौर्य का बेजोड़ संगम है। हम बात कर रहे हैं ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर और रानी मृगनयनी की प्रेम कहानी की..। इस 600 साल पुरानी प्रेम कहानी के सुबूत आज भी ग्वालियर दुर्ग की तलहटी में बने गुजरी महल में देखने को मिलते हैं। इस महल को देखने के लिए रोजाना सैकड़ों सैलानी आते हैं, लेकिन वैलेंटाइन डे पर यहां के नजारे ही कुछ और होते हैं। 14वीं शताब्दी के दौर में राजा मानसिंह तोमर नगर भ्रमण पर निकले थे। सांक नदी के किनारे राई गांव था। जब राजा मानसिंह वहां से गुजर रहे थे, तभी उनकी नजर बैल से युद्ध करती एक बहुत ही सुंदर युवती पर पड़ी। यह नजारा देख कर राजा वहीं ठहर गए। कुछ देर में उस युवती ने बैल को पछाड़ दिया। यह देखकर महाराज इतने प्रभावित हुए कि उस युवती के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया, लेकिन युवती ने प्रस्ताव ठुकरा दिया।
महाराज ने मृगनयनी के परिवार के पास विवाह का प्रस्ताव भेजा। परिवार ने मृगनयनी को विवाह के लिए काफी समझाया। मृगनयनी ने परिवार के समझाने के बाद शादी के लिए हामी तो भर दी, लेकिन उसने राजा के समक्ष तीन शर्तें रख दीं, कहा इनके पूरे होने के बाद ही वह राजा से शादी करेंगी। मृगनयनी की पहली शर्त थी कि उनके लिए एक साधारण सा महल बनवाया जाए, जिसे मानते हुए राजा ने गूजरी महल का निर्माण करवाया। दूसरी शर्त थी की उसके जिस पराक्रम और सौंदर्य को देखकर राजा सम्मोहित हुए थे, वह सांक नदी के पानी की देन है, इसलिए प्रतिदिन रानी को यही पानी चाहिए तभी वह राजा से विवाह करेंगी। इस शर्त पर भी हामी भरते हुए राजा ने सांक नदी से गुजरी महल तक लगभग 16 मील लंबी पाइपलाइन बिछवा कर नदी का पानी महल से जोड़ दिया। विशेष बात है कि यह पाइपलाइन पक्की मिट्टी को पकाकर बनाई गई थी, जिसके साक्ष्य आज भी गूजरी महल में मौजूद हैं। तीसरी शर्त थी कि वह राजा की अन्य नौ रानियों की तरह महल में नहीं रहेंगी, राजा ने इस शर्त को भी स्वीकार कर लिया।