
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। अगर आपके पास गाड़ी है और आप फास्टैग (FASTag) का इस्तेमाल करते हैं, तो आपके लिए नई जिम्मेदारी आ गई है। अब सिर्फ केवाइसी (नो योर कस्टमर) ही नहीं, बल्कि “KYV” यानी नो योर व्हीकल प्रक्रिया से भी गुजरना होगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इस प्रक्रिया को लागू किया है ताकि फास्टैग से होने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लगाई जा सके।
दरअसल, पिछले कुछ महीनों में कई मामले सामने आए जिनमें ट्रक चालकों ने कारों के फास्टैग का इस्तेमाल किया या कुछ लोगों ने अपने फास्टैग को वाहन पर लगाने की बजाय पर्स या बैग में रख लिया। इससे न केवल टोल राजस्व में गड़बड़ी हुई, बल्कि डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम भी प्रभावित हुआ। अधिकारियों के अनुसार, इन गड़बड़ियों से बचने और सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए “नो योर व्हीकल” प्रक्रिया शुरू की गई है।
एनएचएआई की इस नई व्यवस्था के तहत, वाहन मालिकों को यह साबित करना होगा कि उनका फास्टैग सही वाहन पर लगा है। इसके लिए वाहन की आगे और साइड से खींची गई दो स्पष्ट तस्वीरें और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की स्कैन कापी अपलोड करनी होगी। इन तस्वीरों में गाड़ी का नंबर और फास्टैग दोनों साफ दिखने चाहिए। फास्टैग जारी करने वाले बैंक या एजेंसी इन दस्तावेजों को वाहन डेटाबेस और ग्राहक की जानकारी से मिलाकर सत्यापन करेंगे।
यह प्रक्रिया एक बार की नहीं है। एनपीसीआई ने निर्देश जारी किए हैं कि प्रत्येक तीन वर्ष में यह सत्यापन दोबारा कराना होगा, ताकि जानकारी हमेशा अपडेट रहे। जो फास्टैग निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाएंगे, वे अपने-आप निष्क्रिय हो जाएंगे। साथ ही, पांच साल से पुराने फास्टैग को बदलना भी अनिवार्य होगा।
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अब वाहन मालिकों को “वन व्हीकल, वन टैग” नियम का कड़ाई से पालन करना होगा। यानी एक वाहन पर केवल एक ही वैध फास्टैग लगाया जा सकेगा। इससे धोखाधड़ी की संभावना घटेगी। टोल संचालकों का कहना है कि यह प्रक्रिया आने वाले मल्टी-लेन फ्री फ्लो सिस्टम की तैयारी का हिस्सा है, जिसमें वाहनों को टोल पर रुकना नहीं पड़ेगा और पूरी प्रक्रिया डिजिटल होगी।