50 बोरियों के साथ शुरू किया था बिजनेस, आज सीमेंट कंपनियों के मालिक… पढ़िए वैभव श्रीवास्तव की सक्सेस स्टोरी
Success Story Cement Business: खबर मध्य प्रदेश के ग्वालियर से है। वैभव श्रीवास्तव का आज कई लोगों के लिए मिसाल हैं। उन्होंने अपनी सफलता और संघर्ष की कहानी बयां करते हुए बताया कि किस तरह एक बार महंगी मशीन खराब हो जाने पर टूट गए थे, फिर…
Publish Date: Mon, 28 Jul 2025 12:02:34 PM (IST)
Updated Date: Mon, 28 Jul 2025 12:05:24 PM (IST)
वैभव श्रीवास्तव पत्नी सारिका के साथ।HighLights
- ग्वालियर के बिजनेसमैन हैं वैभव श्रीवास्तव
- हर मुश्कल में पत्नी सारिका ने दिया पूरा साथ
- समय निकालकर करते हैं सामाजिक कार्य
हर्ष श्रीवास्तव, ग्वालियर: शहर में एक शख्स एक छोटी-सी दुकान से अपने जीवन का संघर्ष शुरू करता है और बहुत मेहनत करने के बाद फैक्ट्री का मालिक बन जाता है। ये सब सोचने में कितना कठिन लगता है, लेकिन ऐसे ही एक शख्स ग्वालियर में भी। इन्होंने समय की मार को झेलते हुए एक छोटी-सी दुकान खोली थी और कुछ वर्षों के संघर्ष के बाद अब वह खुद फैक्ट्रियों के मालिक हैं।
इनका सीमेंट पूरे मध्यप्रदेश में तो सप्लाई होता ही है। इसके अलावा इसे उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी सप्लाई किया जाता है। इनका नाम है वैभव श्रीवास्तव।
वैभव श्रीवास्तव ने बताई अपनी सफलता की कहानी
- वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि साल 1998 में उन्होंने अपने वक्त को बदलने के उद्देश्य से सीमेंट की एक छोटी सी दुकान खोली थी। दुकान भी क्या सिर्फ 50 बोरियां सीमेंट की खरीदीं और उन्हें बेचना शुरू कर दिया।
- उन्होंने बताया कि मुझे एक बोरी पर दो रुपये मुनाफा होता था और सीमेंट की बोरी डिलीवरी करने के ठेले वाला भी दो रुपये मांगता था। यानी इतनी मेहनत के बाद भी हाथ में कुछ नहीं आना था।
- वैभव ने फिर एक बार हिम्मत जुटाई और खुद ही सीमेंट की बोरी साइकिल पर रख डिलीवरी करने लगे। धीरे-धीरे यह मेहनत रंग लाई और उन्होंने खुद का एक ठेला खरीदा, जिससे डिलीवरी की जाने लगी।
- समय के साथ काम बढ़ा तो उन्होंने एक सीमेंट कंपनी की डीलरशिप ले ली। दो साल उसे चलाने के बाद उन्होंने खुद की सीमेंट फैक्ट्री खोलने का निर्णय लिया और उन्होंने एक सीमेंट फैक्ट्री शुरू कर दी।
- फैक्ट्री शुरू करने के बाद उनके जीवन में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव भी आए। लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी।
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हर संघर्ष में पत्नी सारिका ने दिया बहुत साथ
वैभव बताते है कि मेरे जीवन के इस संघर्ष में पत्नी सारिका ने बहुत साथ दिया। उनके मुताबिक, वैसे तो मैं अपनी सीमेंट की फैक्ट्री के कार्य में व्यस्त रहते हैं, फिर भी वह कुछ समय निकालकर समाज सेवा में लगाते हैं और इसमें भी उनकी पत्नी साथ देती हैं। उनका कहना है कि जीवन में भाग-दौड़ तो हम सभी के साथ है। लेकिन कुछ समय निकालकर लोगों की मदद करने में जो सुकून मिलता है उससे मेरी सारी थकान दूर हो जाती है। समाज के लोगों को जब भी मेरी जरूरत पड़ती है तब मैं उनके लिए तत्पर खड़ा रहता हूं।
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शुरुआत में आईं कई समस्याएं पत्नी ने हौसला बढ़ाया
वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने जब सीमेंट की फैक्ट्री शुरू की थी, तब उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। शुरुआत में उन्हें फैक्ट्री चलाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। एक बार तो जानकारी के अभाव में मुझसे एक कीमती मशीन खराब हो गई थी और मैं उस वक्त बहुत टूट गया था।
उस वक्त मेरी पत्नी सारिका ने मेरे हौसले को बढ़ाया और मेरा साथ दिया। उसका परिणाम यह है कि आज मेरी फैक्ट्री अच्छी तरीके से चल रही है और हमारा माल मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि जगहों पर सप्लाई किया जा रहा है।