नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर: ग्वालियर चंबल में तय समय से पहले ही मानसून ने आमद दे दी है और सक्रिय भी है। मानसून सक्रिय होने से पहले ही प्री मानसून की बारिश से ग्वालियर जिले का जून महीने का कोटा पूरा हो गया है। ग्वालियर में जून महीने में औसतन 85 मिमी बारिश होती है, लेकिन मानसून आने की घोषणा के दो दिन के ही अंदर कोटा से अधिक 100.2 मिमी बारिश हो चुकी है।
बता दें कि यह स्थिति मानसून आने के निर्धारित तिथि से छह दिन पहले की है। अभी जून के 11 दिन में कोटे से दोगुनी बारिश होने की उम्मीद है। इसी तरह जुलाई महीने का बारिश का कोटा 224 मिमी है और अगस्त का 250 मिमी के करीब है। केंद्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने इस बार भी सामान्य से अधिक होने की संभावना जताई है। ऐसे में जुलाई और अगस्त में भी कोटे से अधिक वर्षा हो सकती है।
गुरुवार को पूरे क्षेत्र में कहीं पर रिमझिम तो कहीं पर हल्की तो कहीं पर तेज बारिश हुई। इससे दिन के तापमान में भी 2 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। इससे मौसम काफी सुहावना हो गया। शुक्रवार को भी अंचल के तकरीबन सभी क्षेत्रों में वर्षा होने का मौसम विभाग ने अनुमान बताया है।
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वहीं लगातार बारिश के कारण शहर में कई जगहों पर जलभराव की स्थिति बन गई है। इससे लोगों को आने जाने में काफी परेशानी हुई। गुरुवार को ग्वालिय क्षेत्र में 37 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई। हालांकि लोग इस मौसम का आनंद उठा रहे हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, दक्षिण पश्चिमी मानसून आगे उत्तरप्रदेश की तरफ बढ़ा है। मानसून की उत्तरी सीमा बाड़मेर, जोधपुर, जयपुर, ग्वालियर, खजुराहो, सोनभद्र, बलिया से गुजरना जारी है। अगले दो-तीन दिन के दौरान उत्तरी अरब सागर के शेष हिस्सों, राजस्थान व बचे हुए मध्यप्रदेश के हिस्सों में पहुंच जाएगा।
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बता दें कि अभी अंचल के भिंड में मानसून पूरी तरह से सक्रिय नहीं हो पाया है। दक्षिण पश्चिमी राजस्थान क्षेत्र व पूर्वोत्तर राजस्थान के ऊपर अलग अलग चक्रवातीय प्रसार जारी हैं। साथ ही एक ट्रफ उत्तर पश्चिम उत्तरप्रदेश से उत्तर गुजरात तक है। साथ ही दक्षिण पंजाब से दक्षिण असम तक एक ट्रफ जा रही है। साथ ही पश्चमी बंगाल के पास हवा का कम दवाब का क्षेत्र बना हुआ है।
अंचल में दिन व रात का तापमान बेशक कम है और गर्मी का प्रकोप अब बहुत कम रह गया है। लेकिन वातावरण में नमी काफी अधिक है। इससे वातावरण में उमस पैदा हो रही है। उमस ने लोगों को परेशान कर रखा है। दिन में वातावरण में नमी 98 प्रतिशत रही। यानि सामान्य से 52 प्रतिशत अधिक थी।
कभी हल्की, कभी तेज वर्षा से शहर में कई सड़कों पर पानी भर गया है। हालांकि कई जगहों का पानी वर्षा के बाद निकल गया। लेकिन कई जगहों पर पानी नहीं निकला। ऐसे में लोगों को सड़कों पर भरे पानी के बीच से गुजरने के दौरान परेशानी हुई। इसके साथ ही शहर की बाहर की बस्तियों जहां पर सड़क व नालों का इंफ्रास्ट्रक्चर कम है या नहीं है, ऐसे क्षेत्रों में लोग कीचड़ व जलभराव से अधिक परेशान हैं।