नर्मदापुरम (नवदुनिया प्रतिनिधि)।
कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान और अपने महाज्ञान का सदुपयोग जनकल्याण तथा अखंड भारत के निर्माण जैसे सृजनात्मक कार्य करने वाले आचार्य चाणक्य की जयंती नर्मदा तट पर ब्राह्मण दिवस के रूप में मनाई गई। इस अवसर पर जिले के ब्राह्मण पदाधिकारी व कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उत्साह पूर्वक शामिल हुए। इस कार्यक्रम का आयोजन विश्व ब्राह्मण महापरिषद नर्मदापुरम की और से किया गया। जिसमें महापरिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष पंडित दिनेश चतुर्वेदी ने कहा कि भारत के गौरवशाली इतिहास में आचार्य चाणक्य का नाम स्वर्णिम अक्षरों से अंकित है। आचार्य चाणक्य ब्राह्मणों के गौरव हैं। इसलिए उनकी जयंती विश्व ब्राह्मण दिवस के रूप में मनाई जाती है। हमने मां नर्मदा के पुण्य पावन तट से भव्यता के साथ मनाने की शुरुआत कर दी है और आगामी समय में ब्राह्मण समाज आचार्य चाणक्य के आदर्शों का अनुसरण कर प्रतिष्ठा व आत्मसम्मान के लिए प्रयास करेगा।
महापरिषद के प्रदेश सचिव पंडित अखिलेश दुबे ने कहा कि आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र में निजी जीवन, नौकरी, व्यापार, रिश्ते, मित्रता, शत्रु आदि जीवन के विभिन्ना पहलुओ पर अपने विचार साझा किए हैं। उनकी बताई गई बातें भले ही लोगों को कठोर लगती हैं लेकिन ये बातें व्यक्ति को सही और गलत का भेद कराती हैं। आचार्य चाणक्य की नीतियां व्यक्ति को जीवन में सफल बनने के लिए प्रेरित करती है। आज भी आचार्य चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। ये एक कुशल राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ और रणनीतिकार होने के साथ ही अर्थशास्त्र के मर्मज्ञ भी थे। विभिन्ना विषयों की गहरी समझ होने के कारण ये कौटिल्य भी कहलाये हैं। आचार्य चाणक्य ने मानव समाज के कल्याण से संबंधित कई जरूरी बातें बताई हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार यदि मनुष्य जीवन में इन बातों का ध्यान रखता है तो जीवन में उसे कभी कोई तकलीफ नहीं होगी और न ही जीवन में उसे कभी हार का मुंह देखना पड़ेगा। महापरिषद के पदाधिकारियों ने महाआरती में शामिल सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। महाआरती के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।