देश के 17 जिलों में सात हजार कैदी का हुआ सर्वे, हर दूसरा व्यक्ति करता है नशे का सेवन
जेल के अंदर भी कैदी नशा करते हैं, यह चिंताजनक है। जेल में कैदी के लिए रिहेब सेंटर खोलना चाहिए, ताकि इन्हें वहां नशे की लत से छुटकारे का इलाज मिल सके। इस संबंध में सरकार को सोसायटी द्वारा सुझाव भी भेजे जाएंगे।
Publish Date: Thu, 06 Nov 2025 08:33:24 PM (IST)
Updated Date: Thu, 06 Nov 2025 08:39:17 PM (IST)
समाज में बढ़ती नशे की लत।HighLights
- यह सामने आया कि 51 प्रतिशत कैदी को शराब का सेवन करने की आदत है
- हर दूसरा व्यक्ति नशे की लत का शिकार है। इन्होंने नशे का सेवन किया है।
- कांफ्रेंस में निर्णय- जेलों में शुरू हों रिहेब सेंटर, सरकार को भेजेंगे सुझाव।
नईदुनिया प्रतिनिधि,इंदौर। जेल में जो कैदी रहते हैं, वह सामान्य के मुकाबले नशे का अधिक सेवन करते हैं। एम्स दिल्ली के एम्स दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर द्वारा देश के 17 जिलों में सात हजार कैदी का सर्वे किया था। इसमें यह सामने आया कि 51 प्रतिशत कैदी को शराब का सेवन करने की आदत है हर दूसरा व्यक्ति नशे की लत का शिकार है। इन्होंने कभी ना कभी नशे का सेवन किया है। नशे के कारण अपराध काफी तेजी से बढ़ रहे हैं।
यह बात एम्स दिल्ली के रविंद्र राव ने गुरुवार को इंदौर में आयोजित भारतीय मनोचिकित्सा सोसायटी की तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस एडिकान 2025 में कहीं। उन्होंने बताया कि जेल के अंदर भी कैदी नशा करते हैं, यह चिंताजनक है। जेल में कैदी के लिए रिहेब सेंटर खोलना चाहिए, ताकि इन्हें वहां नशे की लत से छुटकारे का इलाज मिल सके। इस संबंध में सरकार को सोसायटी द्वारा सुझाव भी भेजे जाएंगे।
जेल में कैदी भर्ती होते हैं तो उनकी स्क्रीनिंग होनी चाहिए, ताकि पता चले कि नशा करता है या नहीं। अध्यक्ष डा. रामगुलाम राजदान ने बताया कि शुक्रवार को समाज और कानून से जुड़े विषयों पर चर्चा होगी। नेपाल के रबी शाक्य संगीत और नशे के बीच जटिल संबंध विषय पर विशेष व्याख्यान देंगे। जिसमें डीआईजी (नारकोटिक्स) महेश चंद्र जैन, आनंद गौर, अनिल भंडारी आदि शामिल होंगे।
60% अपराध और सड़क हादसे नशे में, महिलाओं में भी बढ़ रही इसकी लत
- राव ने बताया कि भारत में 60% से अधिक सड़क हादसे और अपराध नशे की स्थिति में होते हैं। जब व्यक्ति नशे के प्रभाव में होता है, तो उसका आत्म नियंत्रण और निर्णय क्षमता खत्म हो जाती है।
- एम्स दिल्ली में किए सर्वे में सामने आया था कि 20 प्रतिशत कैदी गांजा, भांग जैसै नशे और 11 प्रतिशत स्मैक जैसे नशे कर चुके हैं।
- अतुल अम्बेकर ने बताया कि महिलाओं में भी नशे की आदत बढ़ रही है। कुछ मामलों में देखा है कि नशे या मानसिक असंतुलन की स्थिति में महिलाएं खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचा रही हैं।
- यह एक नया सामाजिक संकट है, जिसे हमें गंभीरता से समझना होगा। महिलाओं में नशे की आदतें परिवार और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर डाल रही हैं।