Vidyasagar Ji Maharaj: रामकृष्ण मुले, इंदौर। दिगंबर जैन समाज के सबसे बड़े संत आचार्य विद्यासागर महाराज का शनिवार रात देवलोक गमन हो गया। सूचना मिलते ही उनके अंतिम दर्शन के लिए इंदौर सहित मालवा-निमाड़ से भी बड़ी संख्या में समाजजन डोंगरगढ़ पहुंच रहे हैं। आचार्य विद्यासागर जी के 57 वर्ष से अधिक साधु जीवन में इंदौर ही ऐसा एकमात्र शहर है जहां वे 10 माह से अधिक करीब 315 दिन रुके। अपने प्रवास के दौरान ही उन्होंने इंदौर के समाजजन की भक्ति की सराहना करते हुए कहा था कि इंदौर के समाजजन की गुरु भक्ति विशेष है।
कोविड काल के पहले 5 जनवरी को 19 साल के लंबे इंतजार के बाद उनका आगमन 2019 में अहिल्या की नगरी में हुआ तो सभी संगठन एक हो गए। इसके बाद उन्होंने शहर के विभिन्न कॉलोनियों के समाजजन को आशीष प्रदान किए। इस दौरान उनके शहर से विहार करने की चर्चाएं भी चली। इसके बाद 25 मार्च को कोरोना के चलते लगे लाकडाउन के बाद रेवतीरेंज स्थित प्रतिभा स्थली पर विराजमान हुए।
जब लाकडाउन से राहत मिली तब तक चातुर्मास स्थापना का समय हो गया। 12 जुलाई को महाराजश्री के चातुर्मास कलश स्थापना हो गई। इसके बाद संत एक स्थान से दूसरी जगह निर्धारित सीमा के बाहर विहार नहीं करते है। इसके बाद जैन संतों के चातुर्मास निष्ठापन की शुरुआत भगवान महावीर के निर्वाण दिवस 15 नवंबर से शुरू हो गई थी।
आचार्यश्री नेमावर, विदिशा, जबलपुर, देवरीकला, बिनाबारा सहित विभिन्न स्थानों पर चातुर्मास किया। किसी भी स्थान पर साढे चार-पांच माह से ज्यादा समय वे नहीं रुके है। इतना वक्त वे ओर कही भी नहीं रुके। यह इंदौरवासियों का सौभाग्य है। - कमल अग्रवाल, दयोदय चैरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट