
उदय प्रताप सिंह, नईदुनिया, इंदौर: स्वच्छता में नंबर 1 इंदौर शहर ने जहां कचरे को 'कंचन' में तब्दील कर एक नई मिसाल पेश की। वहीं प्रदेश के किसानों के सिरदर्द व पर्यावरण की सेहत को खराब करने के लिए खेतों में जलाए जाने वाले कृषि अपशिष्ट 'पराली' को भी उद्यमी 'कंचन' यानि कमाई में तब्दील करेंगे। भोपाल व सतना में नरवई से बायो सीएनजी गैस बनाने के प्लांट शुरु हो गए है।
नए साल में इंदौर, जबलपुर व बालाघाट में इसके प्लांट शुरु होंगे। वहीं खंडवा जिले में भी एक कंपनी ने इस तरह का प्लांट लगाने की तैयारी शुरु कर दी है। इस तरह अभी जहां खेतों में नरवाई जलाने पर किसानों को जहां जुर्माना लग रहा है। अब उस नरवाई को बायोसीएनजी गैस बनाने वाली कंपनियों को बेचकर किसान न सिर्फ अपनी परेशानी को खत्म कर पाएंगे बल्कि उसके बदले में उनकी कमाई भी हाेगी।
किसानों के लिए नरवाई व मक्के का वेस्ट अब परेशानी का सबब नहीं रहेगा। खंडवा के भावसिंहपुरा में कर्नाटक के उद्यमी द्वारा मक्के के वेस्ट से बायोसीएनजी गैस, बायो पैलेट और तरल खाद्य बनाने का प्लांट लगाया जाएगा। निमाड़ ग्रीन एनर्जी प्रा. लि. कंपनी नहीं यहां पर 25 एकड़ जमीन पर 183.25 करोड़ की लागत से 24 टन प्रतिदिन क्षमता का ग्रीन वेस्ट से बायो सीएनजी बनाने वाला प्लांट अगले डेढ़ से दो साल में तैयार करेगी।
ग्वालियर में हाल ही में आयोजित अभ्युदय एमपी ग्रोथ समिट में कंपनी द्वारा इस प्लांट के निर्माण के लिए वर्चुअल भूमिपूजन भी हुआ। इस प्लांट के बनने का सबसे बड़ा फायदा खंडवा के अलावा खरगोन व बुरहानपुर के किसानों को मिलेगा। यहां के किसान मक्के, गन्ने व केले के वेस्ट को बायो सीएनजी बनाने के लिए कंपनी को दे सकेंगे। इस तरह किसानों के लिए ग्रीन वेस्ट कचरे का सिरदर्द न सिर्फ कम होगा बल्कि इस वेस्ट को कंपनी को ढाई से पांच रुपये प्रतिकिलो में किसानों से खरीदेगी। इससे किसानों को भी वेस्ट से कमाई होगी। कंपनी अडानी व गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया को इस प्लांट से तैयार होने वाली गैस बेचेगी।
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कंपनी द्वारा भावसिंहपुरा में पहले फेज में 6 टन क्षमता का प्लांट अगले एक साल में लगाएगी। दूसरे फेज में प्लांट की क्षमता 25 टन की जाएगी, इसे अगले दो साल में तैयार किया जाएगा।
खंडवा जिले में वर्ष भर में 10 लाख टन मक्के की पैदावार होती है। इस पैदावार के मुकाबले ढाई से तीन गुना कृषि वेस्ट प्रतिवर्ष निकलता है। अभी तक इसका उपयोग जानवरों के भोजन, खाद बनाने व उद्योगों में जलाने के लिए किया जाता है। कंपनी का अनुमान है कि उन्हें अपने प्लांट के संचालन के लिए 150 टन बायो वेस्ट की जरुरत होगी और यह आसानी से खंडवा में मिल जाएगा।
कंपनी द्वारा खंडवा के अलावा खरगोन जिले के मक्के के वेस्ट के शुगर मिलों से मिलने वाला गन्ने का वेस्ट भी बायोसीएनजी बनाने के लिए किया जाएगा। इसके अलावा बुरहानपुर से केले के वेस्ट भी उपयोग किया जाएगा।
कृषि अपशिष्ठ से बायो सीएनजी, बायो पैलेट, तरल खाद बनाने का संयत्र अगले दो साल में तैयार कर लेगी। कंपनी द्वारा इस प्लांट के माध्यम से 250 लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है।
-कमलेश सेठी, सीईओ, निमाड़ ग्रीन एनर्जी प्रा. लि.
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इंदौर से 40 किलोमीटर दूर डकाच्या में रिलायंस बायो एनर्जी लि. कंपनी द्वारा नरवाई से बायोसीएनजी गैस बनाने का प्लांट नए साल के शुरुआत में शुरु होगा। इस प्लांट का भूमिपूजन दिसंबर 2023 में हुआ था। यहां पर प्रतिदिन 400 टन कृषि उपशिष्ठ का उपयोग कर 20 टन प्रतिदिन बायो सीएनजी गैस तैयार की जाएगी।
इंदौर में एवर इन्वायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्रा. लि. द्वारा तीन साल पहले गीले कचरे से बायो सीएनजी का प्लांट तैयार किया गया था। इस प्लांट से फिलहाल एक माह में 630 टन गैस तैयार हो रही है। इस गैस का इस्तेमाल बसों में ईंधन के रुप में किया जा रहा है। इसके अलावा कंपनी गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया को 50 फीसद गैस दे रही है और 50 फीसद गैस गुजरात गैस कंपनी, नवेरिया गैस, टाटा, एलएंडटी कंपनी को दे रही है।