
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) ने व्यावसायिक पाठ्यक्रम की मूल्यांकन व्यवस्था में बदलाव कर दिया है। अब दो स्तर पर कॉपियों को जांचा जाएगा। सामान्य प्रक्रिया के अंतर्गत शिक्षकों को मूल्यांकन करना होगा। फिर परीक्षा समिति की विषय विशेषज्ञों के माध्यम से कॉपियों को जांचने का काम किया जाएगा। इसके बाद ही संबंधित पाठ्यक्रम की परीक्षा का रिजल्ट जारी किया जाएगा। यह व्यवस्था विश्वविद्यालय प्रशासन ने लागू कर दी। अधिकारियों के मुताबिक नई व्यवस्था अनुरूप आगामी परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन किया जाएगा।
नई व्यवस्था बनाने के पीछे असल वजह यह है कि आए दिन बीएड-एमएड, एमबीए, एलएलबी, बीएएलएलबी, बीबीएएलएलबी की परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद विद्यार्थी फेल होने पर हंगामा करते हैं। कई बार खराब मूल्यांकन और मूल्यांकनकर्ताओं पर कम नंबर देने का आरोप भी लगाते हैं। विद्यार्थियों के दबाव में विश्वविद्यालय को दोबारा कॉपियों तक की जांच करनावा पड़ जाती हैं। यहीं नहीं, सैम्पलिंग और मूल्यांकनकर्ता को बुलाकर विद्यार्थी अपने सामने तक कॉपियों की जांच करवाते हैं।
इन सारी गतिविधियों में विश्वविद्यालय का ज्यादातर समय बर्बाद होता है। इन परिस्थितियों से बचने के लिए विश्वविद्यालय ने अलग-अलग स्तर पर कॉपियों का मूल्यांकन करने का विचार किया है। इस संबंध में कुलगुरु डॉ. राकेश सिंघई ने भी सहमति दे दी है। परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशेष तिवारी ने कहा कि नई व्यवस्था के अंतर्गत वरिष्ठ प्रोफेसर को समिति में रखेंगे, जो मूल्यांकन खत्म होने के बाद कुछ चुनिंदा विद्यार्थियों की कॉपियों को जांचेंगे। समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद रिजल्ट घोषित किया जाएगा। वे कहते हैं कि यह व्यवस्था फिलहाल व्यावसायिक पाठ्यक्रम पर लागू होगी।
इन पाठ्यक्रमों के रिजल्ट बिगड़ने के बाद विद्यार्थी शिकायत करते हैं। विश्वविद्यालय अपनी प्रक्रिया पूरी भी करता है। बावजूद इसके विद्यार्थियों के रिजल्ट में संशोधन नहीं होता है तो ये सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज करवाते हैं। डेढ़ महीने पहले बीएड तीसरे सेमेस्टर का रिजल्ट निकाला था। उसमें फेल होने वाले विद्यार्थियों ने तीन दिन में 80 से ज्यादा शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर कर दी। वहीं, विधि पाठ्यक्रम में फेल छात्र-छात्राएं न्यायालय की शरण लेते हैं।