
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर: भागीरथपुरा में हुए दूषित कांड में अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग अभी भी इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है। अब तक विभाग द्वारा 2700 घरों का सर्वे किया गया है, जिसमें से 1200 से अधिक लोग बीमार मिले हैं। यानी क्षेत्र के हर दूसरे परिवार में सदस्य बीमार है। रहवासियों में इतना डर हो गया है कि अब वह पानी पीने में भी डरने लगे हैं।
मंगलवार को क्षेत्र में नगर निगम ने पानी के टैंकर पहुंचाएं, लेकिन उन्हें अब निगम पर भरौसा नहीं रहा है। रहवासियों ने टैंकर से आए पानी का उपयोग पीने के लिए नहीं किया। आरओ का पानी बुलवाकर उपयोग कर रहे हैं।
रहवासियों ने बताया कि हमने कभी सोचा भी नहीं था कि पानी के कारण हमारे क्षेत्र में लोगों की मौत हो जाएगी। जिम्मेदारों को जानकारी देने के बावजूद भी उन्होंने समय पर ध्यान नहीं दिया। भागीरथपुरा की गलियों में लोगों के बीमार और मौत होने के बाद सन्नाटा छा गया है।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक भागीरथपुरा की चौदह गलियों में प्रत्येक घर में चिकित्सक व पैरामेडिकल द्वारा जांच व उपचार किया गया है। गंभीर मरीजों को एम्बुलेंस द्वारा अस्पतालों में रैफर किया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर क्लोरिन, जिंक की दवाई एवं ओआरएस के पैकेट वितरित किए जा रहे है।
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आशा मेगा माइकिंग द्वारा लक्षण होने पर तुरंत उपचार के लिए स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचने, उबला पानी पीने एवं बाहर का भोजन व बाहर के कटे फल न खाने की समझाइश भी दे रही है।
शहर के शासकीय और निजी अस्पताल में अभी 111 मरीज भर्ती है। इनमें से करीब 30 से अधिक मरीज गंभीर है। भागीरथपुरा में अभी चार एंबुलेंस प्रभावित क्षेत्र में खड़ी है। स्वास्थ्य संस्थाओं में कार्यरत 14 डॉक्टर एवं पेरामेडिकल स्टाफ मौजूद है। इसमें एमवाय अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डॉक्टर भी मदद कर रहे है।
अधिकारियों के मुताबिक 2703 घरों का सर्वे किया गया जिसमें लगभग 12000 लोगों की जांच की गई। इनमें से 1146 मरीजों को वहीं पर प्राथमिक उपचार दिया गया। 18 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट गए हैं।
अस्पताल में मरीजों के हालत यह है कि बेड पर ही उन्हें बाल्टी रखना पड़ रही है। उन्हें इतनी उल्टी आ रही है कि वह समझ तक नहीं पा रहे हैं। वर्मा अस्पताल में कुल 22 बेड की क्षमता है, यहां करीब 35 मरीजों का उपचार चल रहा है। यहां से कई मरीज स्वस्थ होकर घर लौट गए है।
विशेषज्ञों के मुताबिक सभी मरीजों को दवाईयों का असर लगने में भी समय लग रहा है। आमतौर पर उल्टी-दस्त के मरीज को आराम मिल जाता है। लेकिन कुछ मरीजों को दो दिन में भी आराम नहीं मिला है। वहीं आशंका जताई जा रही है कि यह कोलेरा हो सकता है।
अस्पताल में 14 वर्षीय माही का इलाज चल रहा है। मां पिंकी कैथवास उसके साथ अस्पताल में मौजूद है। पिंकी ने बताया कि सोमवार सुबह से माही की तबीयत बिगड़ने लगी है। परिवार के अन्य सदस्य भी बीमार है, जिनका घर पर उपचार चल रहा है। इसी प्रकार अंशिका भी यहां भर्ती है, मां पुरे समय उसकी देखभाल कर रही है।