
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। सराफा चाट चौपाटी में 69 दुकानों की सूची में रखे गए नामों पर विवाद शुरू हो गया है। सूची में शामिल किए गए नामों में करीबियों को लाभ देने और पैसा लेकर नाम जुड़वाने के आरोप लगने लगे हैं। चौपाटी पर बीते दिनों तक दुकान लगाने वाले व्यापारी ही इस बारे में शिकायत कर रहे हैं। बीते दिनों तक नगर निगम के अधिकारी कहते रहे कि चौपाटी में परंपरागत व्यंजन ही रहेंगे, हालांकि अब जब सूची आई तो चायनीज, माकटेल शाट, पिज्जा, पान, सोड़ा की दुकानों को भी जगह दे दी गई।
खास बात है कि इनमें तमाम नए दुकानदारों के नाम शामिल किए गए, जबकि दही बड़ा, चाट वालों को चौपाटी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। लिस्ट में शामिल नए नामों में कुछ नेताओं के करीबी तो कुछ चौपाटी एसोसिएशन वालों के अपने बताए जा रहे हैं।
नगर निगम के अधिकारी और व्यापारियों की बैठक के बाद चौपाटी में दुकानों की सूची जारी हुई। सूची जब देर रात सामने आई तो इस पर असंतोष फूटा। चौपाटी से बाहर किए गए दुकान वाले महापौर पुष्यमित्र भार्गव के साथ भाजपा से जुड़े मनोज परमार के पास भी पहुंचें। हालांकि कहीं से भी राहत नहीं मिली।
चौपाटी पर बरकरार रखी जा रही दुकानों में द शाट स्टोरी, गोटू फ्रूट चाट, गंगा कोकोनट क्रश, टकाटक पावभाजी, गुरुदास सैंडविच, शुभम फ्रूट चाट, पान प्रिय, शर्मा और आदेश नाम से तीन दुकानें, फेसबुक अड्डा, हनी पिज्जा, चटोरा, इंदौरी तंदूरी चाय, इंदौरी चायनीज जैसे नाम ही बता रहे हैं कि ये चौपाटी पर लगने वाली परंपरागत दुकानें नहीं हैं। चौपाटी के दुकानदारों के अनुसार 25 से ज्यादा ऐसे नाम हैं जो बीते कुछ वर्षों में ही चौपाटी पर प्रकट हुए हैं और उन्हें सूची में जगह दे दी गई। दुकानों के नाम किसी पैमाने पर तय किए गए इसका जवाब नहीं है। नगर निगम और चाट चौपाटी एसोसिएशन दोनों एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं।
चौपाटी से बाहर किए गए दुकानदार आरोप लगा रहे हैं कि चौपाटी एसोसिएशन वालों ने सूची में नाम रखने के बदले पैसे एकत्र किए। शिकायत के बाद एक व्यक्ति को तो चौपाटी एसोसिएशन के अध्यक्ष रामबाबू गुप्ता ने पैसे लौटाए थे। लेकिन अब भी कुछ लोगों से पैसे लिए गए हैं और आश्वासन दिया जा रहा है कि आगे उनका नाम भी लिस्ट में जुड़वा लिया जाएगा। साथ ही चौपाटी एसोसिएशन में प्रभाव रखने वाले कुछ व्यापारियों ने अपने और स्वजनों के नाम से दो से तीन दुकानें सूची में जुड़वा ली। खुद चौपाटी एसोसिएशन के अध्यक्ष पर भी एक से ज्यादा दुकानें रखने का आरोप है।
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चौपाटी एसोसिएशन की नाम तय करने में कोई भूमिका नहीं है। महापौर, एमआईसी सदस्य निरंजन गुड्डू भैया के साथ हमारी बैठक हुई थी। उसी में लिस्ट फाइनल हुई। निगम के पास पहले से लिस्ट थी। उन्होंने बताया कि जो प्रवासी भारतीय सम्मेलन में दुकानें लगी थीं उन्हें ही रखा जा रहा है। एक व्यक्ति से कमल ने पैसे लिए थे तो उसे मैंने खुद लौटाए। अब यदि किसी ने लिए हैं तो उसे पकड़ें, मुझे नहीं पता। - रामबाबू गुप्ता, अध्यक्ष सराफा रात्रिकालीन चौपाटी एसोसिएशन
चौपाटी एसोसिएशन वालों ने तो 80 दुकानों की सूची दी थी। हमने उसमें से नाम कम कर 69 को रखा। नाम तय करने में निगम की कोई भूमिका नहीं है। हम सराफा चौपाटी की परंपरा को बचाए रखना चाहते हैं। स्पष्ट निर्देश दिया है कि मोमोज, चायनीज खाने जैसी दुकानें नहीं लगने दी जाएंगी। - पुष्यमित्र भार्गव, महापौर