
लोकेश सोलंकी, इंदौर। आप घर में कितनी भी बिजली जलाओ बिल नहीं आएगा। आपका बिजली बिल देवी अहिल्या विवि के खजाने से चुकाया जाएगा। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (आइईटी) में बिजली के ऐसे ही घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है। यहां स्टाफ क्वार्टर में रहने वाले शिक्षकों से लेकर कर्मचारियों को मुफ्त में बिजली जलाने की छूट दे दी गई है।
एक-दो ईमानदार शिक्षक-कर्मचारी बिल जमा करना चाहते हैं तो उन्हें बिल इसलिए नहीं दिया जाता कि दूसरे मनमाने लाभ से वंचित न रह जाएं। एक-दो महीनों से नहीं बल्कि पांच-सात वर्षों से यह सिलसिला जारी है। विश्वविद्यालय के जिम्मेदार आंख मूंदे बैठे हैं और कैंपस में रहने वाले सरकारी पैसे से बिजली जला रहे हैं। खंडवा रोड पर आइईटी कैंपस पांच एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्र में फैला है।
इसमें कालेज, छात्रावासों के साथ स्टाफ क्वार्टर और मेस-कैंटीन भी बने हुए हैं। कर्मचारी और शिक्षकों के साथ कैंपस में चल रहे कैंटीन-मेस को भी यह छूट मिल गई है कि वे बिजली बिल न चुकाएं। कई वर्षों से मुफ्त की बिजली देने पर विवि के लाखों रुपये फूंक दिए गए हैं। विश्वविद्यालयों के जिम्मेदारों के पास अब न तो इसका हिसाब है ना ही कभी बिल वसूली की कोशिश की भी गई।

आइईटी निदेशक बीते वर्षों से लगातार सभी क्वार्टरों के बिजली बिल का पैसा संस्थान के खाते से बिजली कंपनी को चुका रहे हैं। हाल ये है कि कई क्वार्टरों में तो बिजली के मीटर भी नहीं लगाए गए हैं। पहले संस्थान का इलेक्ट्रीशियन कुछ क्वार्टर में मीटर रीडिंग लेने जाता था। बीते वर्षों में वह भी बंद कर दिया गया क्योंकि जिम्मेदार बिल जारी नहीं करना चाहते।
खास बात है कि बिजली कंपनी आइईटी से करीब साढ़े आठ रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बिल वसूल रही है। आइईटी ने अपने कैंपस में अपने इसी कनेक्शन से बिजली वितरित करना शुरू किया। बीते वर्षों में जब बिल जारी हुए वे भी सात रुपये 20 पैसे प्रति यूनिट की दर से जारी हुए। यानी सरकारी पैसे को फूंका गया।
नियमानुसार कोई भी संस्थान अपने कनेक्शन से दूसरे कनेक्शन बांटकर बिजली वितरित नहीं कर सकता। आइईटी के इलेक्ट्रिशियन नरेंद्र वर्मा से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि 2005 से पहले कैंपस में एलटी कनेक्शन था। इसके बाद संस्थान के लिए उच्चदाब कनेक्शन (एचटी) ले लिया। एचटी कनेक्शन का बिल संस्थान के नाम आता है।
हर माह करीब पांच लाख रुपये का बिल चुकाया जाता है। इस ही कनेक्शन से क्वाटर व सभी जगह कनेक्शन बांट दिए हैं। संस्थान ने कुछ जगह सब मीटर लगाए थे। बीते वर्षों में मैं रीडिंग देखकर बिल देता था, लेकिन बाद में कुछ लोगों ने मुझे डांटकर भगा दिया। संस्थान के अकाउंट वाले जिम्मेदार भी बिल जारी नहीं करते तो मैं तो अस्थायी कर्मचारी हूं कर ही क्या सकता हूं।
बिना बिल वसूले विश्वविद्यालय की जेब से बिजली के पैसे चुका रहे आइईटी का रवैया हैरानी भरा है। निदेशक प्रो.संजीव टोकेकर से नईदुनिया ने बिजली का बिल नहीं लिए जाने पर पूछा तो उन्होंने कहा कि कुछ कर्मचारियों को बिजली बिल चुकाने से छूट दी गई है। हालांकि विवि के ऐसे किसी आदेश का उल्लेख उन्होंने नहीं किया।
बिल जारी नहीं करने की बात पर उन्होंने कह दिया कि विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग सेक्शन की जवाबदारी है कि बिल जारी करे। यहां अकेले सिर्फ आइईटी के शिक्षक ही नहीं रहते कुछ अन्य विभागों के लोग भी रहते हैं। हालांकि वे यह साफ नहीं कर सके कि फिर बिना आपत्ति आइईटी के खातों से सबका बिल कैसे वर्षों से चुका रहे हैं।
बिजली का बिल चुकाने से किसी को छूट नहीं है। विश्वविद्यालय या किसी भी सरकारी क्वाटर में रहे उसे अपना बिल खुद भरना होगा। सरकारी नियमों के विपरीत विश्वविद्यालय ने ऐसा कोई आदेश कभी जारी नहीं किया। इस बारे में जानकारी लेकर हम जांच करवाएंगे। - अजय वर्मा, रजिस्ट्रार देवी अहिल्या विवि
किसी भी एक कनेक्शन से अन्य कनेक्शन देकर कोई बिजली वितरण नहीं कर सकता। यह नियम विरुद्ध है। विवि क्योंकि सरकारी संस्थान है इसलिए हम आपत्ति नहीं लेते। विवि से तो हम करीब साढ़े आठ रुपये प्रति यूनिट की दर से पूरा बिल वसूल रहे हैं। - डीके तिवारी, अधीक्षण यंत्री पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी