Lahsun Ki Nilami: ‘लहसुन सब्जी है, मसाला नहीं, इसलिए मंडियों में होगी सरकारी नीलामी’… MP के 8 साल पुराने केस पर SC का फैसला
मामला मध्य प्रदेश से जुड़ा है। इंदौर मंडी के व्यापारी मुकेश सोमानी और बिजलपुर के किसान कैलाश मुकाती के बीच इस बात को लेकर केस चल रहा था कि लहसुन सब्जी है या मसाला और मंडी में इसकी नीलामी कैसे होना चाहिए। हाई कोर्ट के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
Publish Date: Tue, 22 Apr 2025 10:41:03 AM (IST)
Updated Date: Tue, 22 Apr 2025 11:47:06 PM (IST)
HighLights
- सुप्रीम कोर्ट ने दिया अंतिम निर्णय
- आठ साल से चल रहा था विवाद
- मंडियों में
नीलामी प्रक्रिया बदलेगी
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर: लहसुन की नीलामी फल-सब्जी की तरह आढ़तिये नहीं करवा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम निर्णय देते हुए फल-सब्जी को मसाला श्रेणी में मानते हुए सरकारी प्रक्रिया से नीलामी का निर्देश दे दिया है।
इसी के साथ आठ वर्षों से ज्यादा समय से चले आ रहे विवाद का भी अंत हो गया है। इंदौर और प्रदेशभर की मंडियों में फिर से लहसुन की नीलामी की प्रक्रिया बदल जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण पर निर्णय देते हुए प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड के 13 फरवरी 2015 को जारी आदेश को अपास्त कर दिया।
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केस, फैसला और आगे क्या होगा
- इंदौर मंडी के व्यापारी मुकेश सोमानी और बिजलपुर के किसान कैलाश मुकाती सर्वोच्च न्यायालय में लड़ाई लड़ रहे थे। किसान विरोध कर रहे थे कि लहसुन जल्द खराब होने वाली कमोडिटी है और इसे सब्जियों के साथ किसानों की मर्जी से नीलाम करवाया जाना चाहिए।
किसान चाहे तो सरकारी कर्मचारियों से नीलामी करवाए या आढ़तियों से। हाई कोर्ट ने किसानों के पक्ष में निर्णय दिया था। बाद में सोमानी ने इस पर स्थगन ले लिया था। इसके बाद बीते दिनों स्थगन के खिलाफ किसान मुकाती सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन को हटा दिया। किसानों की मर्जी से नीलामी शुरू भी हो गई। हालांकि मामले पर सुनवाई चलती रही। अब दिल्ली में अंतिम बहस के बाद कोर्ट ने निर्णय देते हुए लहसुन को मसाला श्रेणी में आठवीं अनुसूची में मानते हुए सरकारी कर्मचारियों से नीलामी को सही करार दिया।