नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर(Indore Metro)। बंगाली चौराहे से रीगल तिराहे के बीच मेट्रो अंडरग्राउंड कहां से होगी, यह बुधवार को भी तय नहीं हो सका। 17 जून 2024 को इस मुद्दे पर मेट्रो के अफसरों के साथ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय सहित शहर के अन्य जनप्रतिनिधियों की बैठक हुई थी।
289 दिन बीतने के बाद भी बुधवार को मेट्रो को अंडरग्राउंड करने पर मेट्रो प्रबंधन व शहर के जनप्रतिनिधियों के बीच आम सहमति नहीं बन सकी। बुधवार को मेट्रो प्रबंधन ने हाई कोर्ट के बजाय विकल्प के रूप में एमजी रोड पर पलासिया से इंद्रप्रस्थ टावर के बीच मेट्रो को अंडरग्राउंड करने का विकल्प दिया।
मेट्रो के अधिकारियों ने नगरीय आवास व विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने छप्पन दुकान के सामने एमजी रोड पर मार्किंग के साथ अंडरग्राउंड करने की योजना भी समझाई, जिसे सभी ने नकार दिया। मंत्री विजयवर्गीय बोले अभी जो विकल्प मेट्रो के अफसरों ने बताए हैं, उनसे संतुष्ट नहीं हैं।
हम एमजी रोड पर मेट्रो को अंडरग्राउंड नहीं करना चाहते हैं। इससे एमजी रोड खराब होगी। हमने अपने एक्सपर्ट के साथ विकल्प दिए हैं। मेट्रो शहर के लिए बोझ न बने और जनउपयोगी हो। मेट्रो के अफसर व टेक्नीकल टीम के अगले एक सप्ताह में नया विकल्प तैयार करें।
मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि मेट्रो का पहले जो प्लान बना है वो अप टू द मार्क नहीं बना है। जनप्रतिनधियों से राय नहीं ली गई और न ही पूछा गया। जब एक बार प्लान पूरा प्लान बन जाएगा, उसके बाद बता पाएंगे कि मेट्रो शहर की रिंग कब तक तैयार हो पाएगी।
सुपर प्रायोरिटी कॉरिडोर के 5.9 किलोमीटर हिस्से पर मेट्रो चलाने के पहले उसकी उपयोगिता के साथ यह देखा जाएगा, मेट्रो में कितने लोग सफर करेंगे। मेट्रो चलाकर हम रोज घाटे का धंधा हम अपने सिर लें, इतनी जल्दबाजी नहीं करेंगे।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि मेट्रो को अंडरग्राउंड करने मुद्दे पर अधिकारियों को टेक्निकल एक्सपर्ट के साथ रिवाइज प्लान लाने के लिए कहा है। अभी किसी विषय पर सहमति नहीं बनी है। सभी इस बात पर एक मत है कि पलासिया के बाद मेट्रो को तुरंत अंडरग्राउंड ले जाना ले जाना शहरहित में वर्तमान में परिस्थितियों में नहीं दिखता है।
पलासिया चौराहे पर ब्रिज बनाया जाना प्रस्तावित है। ब्रिज के नीचे से यदि मेट्रो वायडक्ट बनाकर लाएंगे तो ब्रिज की भुजाएं 700 मीटर लंबी हो जाएगी। इससे पलासिया के आसपास के रास्तों व चौराहे के लोगों को फायदा नहीं मिलेगा। इससे लागत भी बढ़ेगी। - अतुल शेठ, वरिष्ठ इंजीनियर