Indore News: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। इंदौर तमाम क्षेत्रों के साथ-साथ फार्मासिस्ट तैयार करने का भी हब बन चुका है। एक दौर था जब इंदौर में बहुत सारी दवा फैक्ट्रियां थीं, किंतु बाद में वे टैक्स संबंधी नीतियों के कारण इंदौर से अपना कामकाज समेटकर हिमाचल प्रदेश चली गईं। किंतु इंदौर ने उन फैक्ट्रियों के चले जाने का मातम मनाने के बजाय एक नई फील्ड में अपने कदम बढ़ा दिए। यह फील्ड थी फार्मासिस्ट तैयार करने की। इंदौर में मध्य भारत के सर्वाधिक फार्मासिस्ट तो तैयार होते ही हैं, वे श्रेष्ठता और कार्यकुशलता में भी अन्य शहरों से श्रेष्ठ होते हैं।
इंदौर फार्मासिस्ट तैयार करने में पीछे नहीं है। यहां 30 कालेज फार्मासिस्ट तैयार कर रहे हैं। सालाना करीब दो हजार फार्मासिस्ट तैयार होते हैं। देशभर से युवा यहां पढ़ाई करने आ रहे हैं। युवाओं में इसे लेकर रुचि भी है। इंदौर फार्मासिस्ट तैयार करने में अन्य शहरों से इसलिए बेहतर है, क्योंकि यहां पढ़ाई का अनुकूल वातावरण मिलने के साथ ही सुविधाएं भी बेहतर मिलती हैं। फार्मा इंडस्ट्री बढ़ी होने के कारण नौकरी भी आसानी से मिल जाती है।
इंदौर में करीब 150 फार्मा फैक्ट्री हैं, जिनका सालाना टर्नओवर करीब आठ करोड़ रुपये है। हर साल सात-आठ प्रतिशत तक टर्नओवर बढ़ता जा रहा है। देशभर में इंदौर की फार्मा इंडस्ट्री अपनी पहचान बना चुकी हैं। यहां कई नामी दवाई कंपनियों ने अपनी इंडस्ट्री लगा रखी हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि कोरोना काल के बाद इस इंडस्ट्री में बदलाव देखने को मिला है, क्योंकि कोरोना के बाद से लोग अब ज्यादा सावधानियां रखने लगे हैं। इसके साथ ही फार्मा इंडस्ट्री के आगे बढ़ने का एक कारण यह भी है कि अब पहले के मुकाबले कई प्रकार की नई बीमारियां आ चुकी हैं। जिनके चलते दवाइयों की डिमांड भी बाजारों में बढ़ी है। दामों की बात की जाए तो उसमें भी सालाना बढ़ोतरी हो रही है।
मध्य प्रदेश आयुष निर्माता संघ के अध्यक्ष राजेश सेठिया ने बताया कि इंदौर में करीब 200 आयुर्वेदिक निर्माण इकाइयां हैं, जिनका सालाना कारोबार एक हजार करोड़ से अधिक का है। ये कंपनियां विदेश तक दवाओं सहित अन्य आयुर्वेदिक सामानों को निर्यात करती है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का भी इलाज अब आयुर्वेदिक पद्धति से सफल इलाज हो रहा है। लोग अब घरों में टूथपेस्ट, क्रीम, तेल आदि नियमित रूप से आयुर्वेदिक ही इस्तेमाल करने लगे हैं। प्रदेशभर में करीब एक हजार आयुर्वेदिक दवा निर्माण इकाइयां हैं। कोरोना काल के बाद से बाजार में आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बढ़ने लगी है। केंद्र व राज्य सरकार की ओर से आयुर्वेद को प्रोत्साहन देने अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि लोगों को कम कीमत में गुणवत्तापूर्ण दवा मिल सकें।
इंदौर में वर्तमान में आठ हजार करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर फार्मा इंडस्ट्री का है, वहीं प्रदेशभर में 20 हजार करोड़ रुपये का है। यहां की इंडस्ट्री देशभर में अपनी पहचान बना रही है। कई बड़ी कंपनियों ने यहां अपने पैर जमा रखे हैं। सालाना सात-आठ प्रतिशत इंडस्ट्री का टर्नओवर बढ़ रहा है। काफी तेजी से यह इंडस्ट्री आगे बढ़ रही है। - राजीव सिंघल, सचिव, आल इंडिया आर्गनाइजेशन आफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट
इंदौर में करीब 150 फार्मा फैक्ट्री हैं, जो निरंतर बेहतर काम कर रही हैं। दवाइयों की डिमांड भी बाजार में अब बढ़ने लगी है। हालांकि छोटी इंडस्ट्री को वर्तमान में अपडेट करने की आवश्यकता है। जिसके लिए उनमें से प्रत्येक को तीन से चार करोड़ रुपये का इंवेस्टमेंट चाहिए। अब इंडस्ट्री में नई तकनीक आ गई है, इसलिए इंदौर की कंपनियों को और तेजी से स्वयं को अपडेट करना होगा। -हिमांशु शाह, चैयरमेन, फेडरेशन आफ फार्मा इंटरप्रेन्योर, मप्र ब्रांच