Lok Sabha Elections 2024: उदय प्रताप सिंह, इंदौर। इंदौर लोकसभा सीट ने शुरू से बड़े जुझारू नेता दिए हैं। शहर हमेशा संघर्षशीलता के साथ काम करता रहा है। 1962 में तीसरी लोकसभा के चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी की लहर हुआ करती थी, उस दौर में भी इंदौरवासियों ने संघर्ष व जुझारूपन के साथ मजदूरों का साथ देने वाले नेता के रूप में होमी दाजी को नेतृत्व का अधिकारी सौंप दिया था।
मजदूर नेता के रूप में रही पहचान
जिस दौर में इंदौर में काफी टेक्सटाइल मिलें हुआ करती थीं और शहर के मजदूरों का वोट बैंक अहम माना जाता था, उस दौर में होमी दाजी ने इंदौर में मजदूरों के लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे।
होमी दाजी के पिता मिल में काटन सिलेक्टर हुआ करते थे। इनका जन्म इंदौर में हुआ था और वे परिवार के साथ स्नेहलतागंज में रहते थे। इस वजह से दाजी की शिक्षा-दीक्षा भी इंदौर में हुई। वे एलएलबी में गोल्ड मेडलिस्ट भी थे। उस दौरान अक्सर वह मजदूरों के लिए आंदोलन करते थे और सार्वजनिक मंच पर उनके अधिकारों की बातों को उठाते थे। यही वजह है कि होमी दाजी को इंदौर में शुरू से ही मजदूरों का नेता कहा जाता था।
डा. शर्मा के सामने भी लड़ा था चुनाव
होमी दाजी की मजदूरों व जनता के बीच लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इंदौर के अलावा 1980 में भोपाल से भी
लोकसभा चुनाव लड़ा। उस समय दाजी ने कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ा और उनका मुकाबला उस समय डा. शंकर दयाल शर्मा थे। गौरतलब है कि शर्मा देश के पूर्व राष्ट्रपति भी रहे।
होमी दाजी का राजनीति में सफर
1952- विधानसभा चुनाव - हारे
1957- विधानसभा चुनाव - जीते
1962- लोकसभा चुनाव- जीते
1967- लोकसभा चुनाव- हारे
1971- लोकसभा चुनाव -हारे
1972-विधानसभा चुनाव- जीते
1977- लोकसभा चुनाव- हारे
1980- लोकसभा चुनाव भोपाल से लड़े- हारे
शहरी क्षेत्र में बढ़त के बाद भी हुई हार
1962 में जब होमी दाजी इंदौर से जीते तो उस समय इंदौर लोकसभा में धार विधानसभा क्षेत्र भी शामिल हुआ करता था। ऐसे में दाजी को शहरी क्षेत्र के साथ धार व अन्य ग्रामीण क्षेत्र भी अच्छी लीड मिली थी। 1967 में इंदौर लोकसभा क्षेत्र में धार विधानसभा को हटाकर देवास विधानसभा क्षेत्र को जोड़ दिया गया। ऐसे में उन्हें इंदौर शहरी क्षेत्र से तो अच्छी लीड मिली लेकिन देवास व ग्रामीण क्षेत्र में लीड नहीं मिलने के कारण वे हार गए। मजदूरों की आवाज उठाने वाले नेता के रूप में लोकप्रियता के कारण ही उन्हें 1962 में जीत हासिल हुई।
-कैलाश गोठानिया, पूर्व जिला सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
झुग्गी झोपड़ी व साइकिल कर माफ करवाया
होमी दाजी के नेतृत्व में 1969 में नागरिक समिति मोर्चा ने निगम चुनाव में जीत हासिल की तो उन्होंने इंदौर में झुग्गी-झोपड़ी कर और साइकिल कर माफ करवाया। 1971 में दो नंबर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे। उस समय उनके सामने लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों के जमानत जब्त हुई, वो सबसे अधिक वोट से जीते थे। 1973 में इंदौर की मिलों में लगातार सात दिन की हड़ताल हुई। उस समय दाजी के प्रयास से विधानसभा ने सभी मजदूरों का सात दिन का आकस्मिक अवकाश दिया था और वेतन मिला था।
-ओमप्रकाश खटके, संयुक्त सचिव, कम्युनिस्ट पार्टी इंदौर
पढ़े-लिखे तबके ने भी उन्हें दिया था वोट
उस दौर में दाजी की हवा थी। वे पढ़े-लिखे थे और मजदूरों के अधिकारों की बात दमदारी से करते थे। इस वजह से उस समय मजदूरों के अलावा पढ़े-लिखे लोगों ने भी उन्हें वोट दिया था। मेरे बुआ के लड़के जो लेक्चरर थे, उन्होंने व उनके दोस्तों ने भी कांग्रेस को छोड़कर दाजी को वोट दिया था।
-कृपाशंकर शुक्ला, कांग्रेस नेता