नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। सेवानिवृत्त जिला आबकारी अधिकारी (डीईओ) धर्मेंद्र सिंह भदौरिया और उसके बेटे सूर्यांश की कई कंपनियां जांच की जद में आ गई हैं। लोकायुक्त को शक है कि भदौरिया एंट्री घुमा कर काले धन को सफेद करने में लगा था। गुरुवार को एजेंसी ने सूर्यांश के एक पार्टनर से पूछताछ भी की है। डीएसपी (लोकायुक्त) सुनील तालान के अनुसार, धर्मेंद्र भदौरिया और सूर्यांश भदौरिया के बैंक खातों की जांच के दौरान पता चला कि उसने चाइनीज वाक फ्रेंचाइजी में भी लाखों रुपये निवेश किए हैं।
लोकायुक्त को सूर्यांश और विशाल सिंह पंवार के मध्य हुआ एक अनुबंध भी हाथ लगा है। इसमें 25 लाख रुपये विशाल को देना दर्शाया है। सूर्यांश में इसमें 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी बताई है। इस तरह लोकायुक्त ने कुल 20 करोड़ 24 लाख 55 हजार से ज्यादा की चल-अचल संपत्ति की जानकारी जुटाई है। डीएसपी के अनुसार बुधवार को भदौरिया की कंपनी जेसी वेंचर का रिकॉर्ड हाथ लगा था। उसमें जितेंद्र चौधरी को दो करोड़ 87 लाख रुपये देना दर्शाया है। इस कंपनी में भी सूर्यांश डायरेक्टर है। पुलिस अब जितेंद्र को भी नोटिस जारी कर तलब करेगी।
लोकायुक्त पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती पद का दुरुपयोग, घूसखोरी के आरोपितों को सजा दिलाने की है। लोकायुक्त में वर्षों पुरानी जांच अभी तक लंबित पड़ी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंदौर लोकायुक्त विंग ने साल 2021 में 33 लोगों को रंगेहाथ पकड़ा। चार जगह छापे मारे और 16 के विरुद्ध पद का दुरुपयोग का केस दर्ज किया। एजेंसी ने 36 के खिलाफ चालान पेश किया जबकि नौ लोगों को सजा सुनाई गई।
इसी तरह साल 2022 में 30 घूसखोर, दो जगह छापे, 10 पद का दुरुपयोग के केस और 37 के खिलाफ चालान पेश हुए। इसमें 19 को सजा सुनाई गई। एसपी डॉ. राजेश सहाय के अनुसार पिछले साल लोकायुक्त ने 34 लोगों को रिश्वतखोरी में पकड़ा और तीन जगह छापा मारा। 16 अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ पद का दुरुपयोग का केस दर्ज किया गया और 19 के खिलाफ चालान प्रस्तुत कर 13 को सजा करवाई गई।
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