
उज्ज्वल शुक्ला, इंदौर। MP Lok Sabha Election Result 2024: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भले ही स्वयं को गैर-राजनीतिक संगठन कहता है, मगर उसकी राजनीतिक ताकत एक बार फिर मप्र में आए लोकसभा चुनाव परिणामों में दिखी। मध्य प्रदेश में संघ ने सत्ता और संगठन के साथ मिलकर कुछ इस तरह काम किया कि राज्य की 29 में से सभी 29 सीटें भाजपा ने जीत लीं। कांग्रेस के दिग्गज नेता कमल नाथ और दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गज नेता भी यहां अपना गढ़ नहीं बचा सके। स्वतंत्रता के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब भाजपा ने मध्य प्रदेश में पूरी तरह क्लीन स्वीप किया हो।
मध्य प्रदेश में वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में मिली जीत को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माइक्रो मैनेजमेंट से जोड़कर देखा गया था। दरअसल, वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में संघ ने सीधा हस्तक्षेप नहीं किया था। इसके चलते भाजपा को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। मप्र में भी तब कांग्रेस की कमल नाथ सरकार बनी थी। इसके बाद वर्ष 2023 के चुनावों में संघ ने कमान संभाली और पिछले चुनाव की कमियों पर काम किया। संघ ने उसी चुनाव की जीत के बाद से वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाना शुरू कर दी थी। संघ का यह परिश्रम काम भी आया और भाजपा ने इस बार प्रदेश में बड़ी जीत दर्ज की।
मध्य प्रदेश में भाजपा और संघ ने अपना नेटवर्क गांव-गांव में बना रखा है। जिस प्रकार भाजपा के पन्ना प्रमुख हर बूथ पर होते हैं, उसी प्रकार संघ के गटनायक भी हर बूथ पर काम करते हैं। संघ की शाखाएं प्रदेश के गांव-गांव में लगती हैं। इन शाखाओं के माध्यम से लगातार जनजागरण का काम किया जाता है। सत्ता, संगठन में संघ के लोगों के होने का फायदा भी इन चुनावों में देखने को मिला। प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन मंत्री हितानंद, ये तीनों संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि से आते हैं। इनका संघ के साथ बेहतर समन्वय है। इसने भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभाई।
तीन साल में तीन चुनाव ने बढ़ाया समन्वयमध्य प्रदेश में सत्ता, संगठन और संघ के बीच समन्वय बढ़ने की मुख्य वजह पिछले तीन सालों में तीन प्रमुख चुनावों का होना भी है। वर्ष 2022 में स्थानीय निकाय चुनाव, 2023 में विधानसभा चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव में तीनों को साथ काम करने का मौका मिला। संघ ने निकाय चुनाव में यह महसूस किया था कि भाजपा का वार्ड और मंडल स्तर पर तो मजबूत नेटवर्क है, पर बूथ पर इसे और मजबूत करना होगा। विधानसभा चुनाव में बूथों को मजबूत करने पर जोर दिया गया। बूथ मजबूत करने का काम अब भी चल रहा है। लगातार तीन चुनाव होने से जो कमियां पिछले चुनाव में दिखीं, उन्हें अगले चुनाव में दूर कर लिया गया। अन्य राज्यों को इस प्रकार का समन्वय करने का मौका नहीं मिला। वहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा को इसका उदाहरण माना जा सकता है।
मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के प्रथम दो चरण का मतदान बेहद निराश करने वाला था। 19 अप्रैल को पहले चरण में छह लोकसभा सीटों पर 2019 की तुलना में मतदान करीब सात प्रतिशत कम और 26 अप्रैल को हुए दूसरे चरण में भी छह सीटों पर 7.65 प्रतिशत कम रहा था। मतदान प्रतिशत घटने से संघ चिंतित था। इसके बाद संघ ने सभी प्रत्याशियों के साथ ही विधायकों, मंत्रियों और भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि न तो मतदान प्रतिशत कम होना चाहिए, न ही पिछले चुनाव से लीड कम मिलना चाहिए। संघ के निर्देशों का असर भी देखने को मिला। चौथे चरण में मालवा-निमाड़ की आठ सीटों पर 60 प्रतिशत से अधिक मतदान देखने को मिला।
संघ का मूल काम जन-जागरण है। जनता को जगाने के लिए संघ मोहल्ला, बस्ती, मल्टी, सोसायटी आदि में बैठकें आयोजित करता है। इन बैठकों में लोगों को बताया जाता है कि राष्ट्र प्रथम के भाव के साथ आप मतदान अवश्य कीजिए। संघ अपनी विचारधारा को लेकर जन-जागरण करता है। संघ ने इस बार भी लोगों को बताया कि देश में राम मंदिर निर्माण और अनुच्छेद 370 को हटाने का काम हुआ है। जनसंख्या नियंत्रण कानून, समान नागरिक संहिता, सीएए जैसे कई काम अभी बाकी हैं। इन कामों के लिए राष्ट्रवादी ताकतों को मजबूत करना जरूरी है। इंदौर में कांग्रेस का प्रत्याशी नहीं होने के बाद भी संघ ने जन-जागरण का काम नहीं रोका। पूरे शहर में करीब 1000 बैठकों का आयोजन किया गया। मतदान के दिन भी लोगों को प्रेरित करने का काम किया।