नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। एरोड्रम ट्रक हादसे में लापरवाह पुलिसकर्मी एक दूसरे पर ठिकरा फोड़ रहे है। टीआइ-सूबेदार से लेकर सिपाहियों ने जिम्मेदारी से इनकार कर दिया है। सिपाहियों ने बाकायदा स्क्रीन शॉट्स सौंप कर पुलिस कंट्रोल रूम को जिम्मेदार बताया है। तीन लोगों की मौत का मामला अब उलझता जा रहा है। बारिकी से जांच होने पर अन्य लोग चपेट में आ सकते है।
15 सितंबर को गत्ते और पेपर से भरे ट्रक (एमपी 09जेडपी 4069) ने 17 लोगों को टक्कर मारी थी। हादसे में कैलाशचंद जोशी, महेश खतवासे और प्रोफेसर लक्ष्मीनारायण सोनी की मौत हो गई थी। मामले में एसीपी सुदेश कुमार सिंह, निरीक्षक दीपक यादव, अर्जुन सिंह पंवार और सुबेदार चंद्रेश मरावी सहित आरक्षकों पर गाज गिरी है। जोन-4 के डीसीपी आनंद कलादगी जांच करवा रहे है।
मंगलवार को डीसीपी ने कथन के लिए बुलाया तो निरीक्षक दीपक यादव ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। बयानों में कहा उनका काम बल का निरीक्षण करना है। निरीक्षक अर्जुन सिंह पंवार बोले मेरा काम ड्यूटी लगाना है। नो एंट्री में ट्रक घुस इससे उनका क्या लेना-देना। सूबेदार चंद्रेश मरावी तो एक कदम आगे निकले। उन्होंने नो एंट्री से ही इनकार कर दिया। उन्होंने कहा जिस जगह से ट्रक आया वो रास्ता नो एंट्री में शामिल नहीं है। अफसरों ने इस संबंध में लिखित आदेश नहीं दिए थे।
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सिपाही देवेंद्र, राहुल और विजय ने कहा उनकी ड्यूटी तो बोहरा समाज के धर्मगुरु के लिए लगाई गई थी। ड्यूटी से छुटने की कंट्रोल रूम को सूचना दी थी। कंट्रोल रुम ने दो घंटे का विश्राम करने भेजा था। सात बजे ड्यूटी पर लौटने का बोला था। ट्रेफिक थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक (वेस्ट) अशोक ने ग्रुप पर मैसेज भी डाला था। उसने कहा था कि सात बजे पहुंच कर लोकेशन भेज दें। घर से निकले ही थे कि हादसा हो गया। ड्यूटी शुरु होने के पहले ट्रक प्रवेश कर चुका था। सिपाहियों ने ड्यूटी ग्रुप यातायात पश्चिम के नाम से बने वाट्सएप ग्रुप की चेटिंग का स्क्रीन शॉट भी पेश किया है।