नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। शादी समारोह में तेज आवाज में गाने बजाना और राजनीतिक सभाएं, धार्मिक आयोजनों में लाउडस्पीकर लगाना लोगों ने स्टेटस सिंबल बना लिया है। वे यह भूल जाते हैं कि इससे न सिर्फ ध्वनि प्रदूषण फैलता है बल्कि आम लोगों की नींद, पढ़ाई, स्वास्थ्य और शांति भी प्रभावित होती है। आमजन भी शिकायत से कतराते हैं। लेकिन आपको सहने की जरूरत नहीं है। आप काल कर भी शिकायत कर सकते हैं। पुलिस कंट्रोल रूम, डायल-100 और 112 पर शिकायत कर पुलिस बुला सकते हैं।
पुलिस तेज आवाज में गाने बजाने वालों के लाउडस्पीकर, साउंड सिस्टम जब्त करेगी बल्कि उनके विरुद्ध कोलाहल अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज करेगी। पुलिस द्वारा गंभीरता से कार्रवाई न करने पर प्रभावित व्यक्ति कोर्ट में परिवाद दायर कर उचित कार्रवाई करवा सकते हैं। कोर्ट ध्वनि प्रदूषण करने वालों के विरुद्ध तो कार्रवाई करेगा ही, साथ ही लापरवाह पुलिसकर्मियों की भी जांच करवा सकता है।
कोलाहल अधिनियम का संबंध पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 से है। इसके तहत 2000 में ध्वनि प्रदूषण (नियंत्रण एवं विनियमन) नियम बनाए गए। इन नियमों के अनुसार किसी भी क्षेत्र को औद्योगिक, वाणिज्यिक, आवासीय और निशब्द यानी अस्पताल, स्कूल, कोर्ट और पुस्तकालय जैसे चार भागों में बांटा गया है। हर क्षेत्र के लिए दिन और रात की ध्वनि सीमा तय है। मसलन आवासीय क्षेत्र में दिन में 55 डेसीबल और रात में 45 डेसीबल से अधिक आवाज़ नहीं हो सकती। निःशब्द (साइलेंस जोन) क्षेत्र में तो यह सीमा और भी कम है। रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाना पूरी तरह प्रतिबंधित है, चाहे वह धार्मिक स्थल हो या निजी आयोजन।
मंदिर, मस्जिद, पंडाल या समारोह में तेज आवाज में लाउडस्पीकर बज रहा है, तो आप नज़दीकी पुलिस स्टेशन जाकर लिखित या मौखिक शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। कलेक्टर या एसडीएम कार्यालय में भी शिकायत करने का अधिकार है। ऑनलाइन पोर्टल/हेल्पलाइन पर भी शिकायत करने की सुविधा है। अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करना होगी।
अनदेखी करने पर पीड़ित व्यक्ति न्यायालय का सहारा ले सकते हैं। लगातार नियमों का उल्लंघन होने पर अनावेदक और संबंधित अधिकारी पर भी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। ध्यान देने वाली बात यह है कि शिकायतकर्ता को नियमों के उल्लंघन का समय बताना ज़रूरी होता है। ध्वनि प्रदूषण कहां, कब और किस प्रकार से हुआ है। अनावेदक के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्यों की भी आवश्यकता है।
पुलिस प्रशासन कोलाहल अधिनियम और संबंधित नियमों के तहत कार्रवाई कर सकता है। नगर निगम तो जब्ती की कार्रवाई करने का अधिकार रखता है। लाउडस्पीकर तुरंत बंद करवा दिया जाता है। बार-बार उल्लंघन करने पर उपकरण जब्त किए जा सकते हैं। जिम्मेदार व्यक्ति पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई हो सकती है।
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हर नागरिक को शांतिपूर्ण वातावरण में जीने का अधिकार है। यदि कोई मंदिर, मस्जिद या अन्य संस्था तेज़ आवाज़ में स्पीकर बजा रही है, तो आप बिना डर के शिकायत दर्ज कर सकते हैं। अदालतों ने भी कई बार कहा है कि धार्मिक स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि दूसरों की शांति भंग की जाए। ध्वनि प्रदूषण असुविधा ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। इसी वजह से कोलाहल अधिनियम बनाए गए हैं।