नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। एमवाय अस्पताल में नवजात की मौत के बाद राजनीति तेज हो गई। धार जिले से बच्ची के शव को इंदौर से ले जाने को लेकर कांग्रेस और जयस संगठन आमने-सामने आ गए। दोनों संगठन बच्ची के माता-पिता को अपने साथ ले जाने पर अड़े रहे।
जयस का आरोप
जयस पदाधिकारियों का आरोप है कि बच्ची के माता-पिता को लेकर वे गांव से निकल रहे थे, तभी विधायक ने गाड़ी के आगे ट्रैक्टर लगाकर रास्ता रोक दिया और कहा कि परिवार को वे साथ लेकर जाएंगे। वहीं विधायक प्रताप ग्रेवाल ने आरोप से इनकार किया और कहा कि सुबह छह बजे एमपी 07-सीएफ 8308 नंबर की कार गांव पहुंची थी, जिस पर मप्र शासन की प्लेट लगी थी। उसमें बैठे लोग खुद को जयस कार्यकर्ता बता रहे थे और बच्ची के माता-पिता व नाना-नानी को इंदौर ले जाने की कोशिश कर रहे थे।
विधायक ने क्या कहा
विधायक ने कहा कि यह उनके क्षेत्र का मामला है और वे परिवार को न्याय दिलाकर रहेंगे। वहीं जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुजाल्दा ने बताया कि उनके साथी नवजात के परिवार को ढूंढ रहे थे। जैसे ही वे गांव से निकले, विधायक ने ट्रैक्टर लगाकर गाड़ी रोक दी। जयस का कहना है कि उनका लक्ष्य केवल न्याय दिलाना है।
एमवाय अस्पताल में कांग्रेस विधायक बच्ची के पिता को लेकर पहुंचे, जबकि जयस कार्यकर्ता मां और अन्य परिजनों को साथ लाए। इसके बाद दोनों संगठन प्रशासन के सामने अपनी-अपनी मांगें रखते रहे।
झुका प्रशासन
छह घंटे चले प्रदर्शन के बाद प्रशासन को झुकना पड़ा। अपर कलेक्टर सहित अधिकारियों ने जयस की मांगें मान लीं। आर्थिक सहायता और अन्य कार्रवाई का आश्वासन दिया गया। मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन भी सौंपा गया। इसमें डीन और अधीक्षक को निलंबित करने और नवजात के परिवार को एक करोड़ रुपये मुआवजा देने की मांग की गई।
रैफर पर्ची में पिता का नाम, पता और संपर्क नंबर दर्ज होने के बावजूद प्रशासन परिवार तक नहीं पहुंच पाया। जयस का दावा है कि उन्होंने दो घंटे में परिवार को खोज निकाला। कार्यकर्ताओं ने बताया कि बच्ची आदिवासी परिवार की थी और अंतिम संस्कार की तैयारी हो चुकी थी। परिवार का पता मिलने पर उन्होंने कलेक्टर से चर्चा कर अंतिम संस्कार रुकवाया।
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