नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। एमवाय अस्पताल में चूहे द्वारा नवजातों को कुतरने वाले मामले में लापरवाह एजाइल कंपनी कॉलेज प्रबंधन को ही धोखा दे रही है। कागजों में कंपनी अधिक कर्मचारी बता रही है, लेकिन हकीकत में ऐसा बिल्कुल नहीं है। कंपनी ने कागजों में सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में 45 कर्मचारी काम करना बताया है, लेकिन यहां सिर्फ 18 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। यह खुलासा एजाइल के ही कर्मचारियों ने किया।
मंगलवार को कर्मचारी डीन कार्यालय अपनी मांगों को लेकर पहुंचे। उन्होंने बताया कि 14 जून से सेवा समाप्ति के बाद चार बार डीन से मुलाकात हो चुकी है। हमारी सैलरी पहले 25 हजार के करीब आती थी। लेकिन अब सिर्फ 10,500 रुपये मिल रही है। इतनी कम सैलरी में घर चलाना और बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो गया है। हम कई बार अपनी मांग रख चुके हैं, लेकिन हमेशा आश्वासन दिया जाता है। इसलिए 10 सितंबर से सभी टेक्निकल स्टॉफ द्वारा काम बंद कर दिया जाएगा।
पेस्ट कंट्रोल में बरती इतनी बड़ी लापरवाही के बाद कंपनी पर सिर्फ एक लाख रुपये जुर्माने की कार्रवाई की गई है। इसके साथ पेस्ट कंट्रोल का अनुबंध कंपनी से समाप्त किया और ठेका निरस्त के लिए भोपाल पत्र लिखा। लेकिन दो मासूमों की मौत के बाद भी कंपनी को बाहर नहीं किया गया। इतने बड़े घटनाक्रम में एचएलएल कंपनी के मैनेजर अतुल मराठा और एजाईल के मैनेजर प्रदीप रघुवंशी दूर रहे। हाल ही में जीतू पटवारी अस्पताल आए थे, तब भी सिर्फ छोटे कर्मचारी को ले जाकर उनके सामने खड़ा कर दिया। जबकि सवाल तो इन दोनों से होना चाहिए।
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बता दें कि अस्पताल की सफाई और सुरक्षा का अनुबंध मूल रूप से 2017 में केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम, एचएलएल इंफ्रा टेक सर्विसेज़ के साथ हुआ था, जिसने इस काम को निजी फर्म को दे दिया था। वर्ष 2023 से एजाइल इसका संचालन संभाल रही है। अनुबंध में स्पष्ट रूप से कालेज को लापरवाही की स्थिति में अनुबंध रद्द करने का अधिकार दिया गया है। पेस्ट कंट्रोल में कंपनी की लापरवाही पेस्ट कंट्रोल में बरती इतनी बड़ी लापरवाही के बाद कंपनी पर सिर्फ एक लाख रुपये जुर्माने की कार्रवाई की गई है। इसके साथ पेस्ट कंट्रोल का अनुबंध कंपनी से समाप्त किया और ठेका निरस्त के लिए भोपाल पत्र लिखा। लेकिन दो मासूमों की मौत के बाद भी कंपनी को बाहर नहीं किया गया।