
इंदौर। स्मार्ट फ्रेट सेंटर इंडिया (एसएफसी) ने आज इंदौर में बैटरी इलेक्ट्रिक ट्रक (बीईटी) पर ध्यान केंद्रित करते हुए, जीरो एमिशन ट्रक्स (जेडईटी) वर्कशॉप का आयोजन किया। यह वर्कशॉप भारत के मध्यम और मीडियम और हेवी-ड्यूटी ट्रक (एमएचडीटी) के क्षेत्र में जेडईटी को अपनाने के लिए अपने राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा थी। इस वर्कशॉप में सरकार के प्रतिनिधियों, इंडस्ट्री के दिग्गजों और इकोसिस्टम के प्रमुख भागीदार उपस्थित रहे, जिन्होंने जेडईटी को अपनाने के दौरान आने वाली चुनौतियों, अवसरों और कार्यान्वयन के लिए रणनीतियों पर चर्चा की।
यह पहल नीति आयोग की ई-फास्ट पहल और प्रधानमंत्री के ई-ड्राइव के तहत की जा रही है। इसका उद्देश्य भारत के परिवहन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और डिकार्बनाइजेशन को बढ़ावा देना है। एसएफसी इंडिया ने इस राष्ट्रीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए ही जेडईटी वर्कशॉप का आयोजन किया।
एसएफसी इंडिया की इस व्यापक मुहिम का मुख्य उद्देश्य सतत परिवहन को बढ़ावा देना है। इस वर्कशॉप में प्रेज़ेंटेशन्स, ग्रुप सेशंस और विशेष चर्चाएँ शामिल रहीं, ताकि जानकारी और सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके।
गौरव बेनाल, आईएएस, एडिशनल कलेक्टर, इंदौर जिला, मध्य प्रदेश, ने उद्घाटन संबोधन में कहा, "इंदौर ने पर्यावरण के अनुकूल समाधान बनाने में एक मिसाल कायम की है। हमने हमेशा नई तकनीकों का खुले दिल से अपनाया है और अपने ट्रकिंग सिस्टम में इसे शामिल करते रहेंगे, ताकि लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके।
राष्ट्रीय पीएम ई-ड्राइव के हिस्से के रूप में, जेडईटी इसके लिए एक स्थायी विकल्प प्रदान करते हैं। इससे न सिर्फ डीजल पर निर्भरता कम होती है, बल्कि लॉजिस्टिक्स लागत में भी 17% की कमी आती है। जेडईटी को अपनाने से वर्ष 2050 तक 838 अरब लीटर डीजल की खपत को खत्म किया जा सकता है, 116 लाख करोड़ रुपए के तेल खर्च में बचत की जा सकती है, और साथ ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 46% की कमी लाई जा सकती है।
विजय जायसवाल, डायरेक्टर, एसएफसी, ने अपने संबोधन में कहा, जेडईटी की तरफ रुख करना स्वच्छ परिवहन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और भारत के परिवहन उद्योग के लिए एक सार्थक बदलाव साबित हो सकता है।
मुख्य बिंदु:
* एसएफसी ने ई-ट्रक के ग्लोबल इकोसिस्टम की वर्तमान स्थिति और भविष्य के अनुमानों के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका को साझा किया।
* वर्कशॉप में स्वच्छ लॉजिस्टिक मॉडल की आवश्यकता पर चर्चा की गई, ताकि सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान किया जा सके।
* पुलिस और ट्रैफिक विभाग, नैट्रेक्स और इंदौर के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के प्रमुख प्रतिनिधियों ने ज़ीरो-एमिशन ट्रक (जेडईटी) को अपनाने में आने वाली बाधाओं पर चर्चा की।
* उन्होंने भारत में जीरो एमिशन लॉजिस्टिक्स की ओर तेज़ी से कदम बढ़ाने के लिए व्यावहारिक उपायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए मिलकर रणनीतियाँ विकसित करने का सुझाव दिया।
* वर्कशॉप ने जेडईटी के व्यापारिक, परिचालन और सतत विकास के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
* वर्कशॉप के नॉलेज पार्टनर के रूप में पीमेनीफोल्ड ने सुझाव दिया कि हमें प्रोत्साहन, नियम-कानून, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिज़नेस और फाइनेंसिंग के क्षेत्रों में सरकार के साथ निकटता से विचार-विमर्श करना चाहिए। साथ ही, हितधारकों के सुझावों पर भी ध्यान देना चाहिए।
* प्रतिभागियों ने नियामक और इंफ्रास्ट्रक्टर की चुनौतियों का समाधान करते हुए जेडईटी के कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्राप्त की, जो वर्तमान में इन्हें अपनाने में बाधा बन रही हैं।
* वर्कशॉप ने रीजनल नेटवर्क और सरकारी ढाँचे की स्थापना पर चर्चा की, ताकि क्षेत्र-विशिष्ट परिवहन विद्युतीकरण के अवसरों का लाभ उठाया जा सके और पूरे भारत में शून्य उत्सर्जन ट्रक प्रोजेक्ट्स का कुशलता से कार्यान्वयन किया जा सके।