नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। दीपावली के पर्व पर कई लोग लापरवाही पूर्वक पटाखे फोड़ते हैं, जिसके कारण वह गंभीर चोट का शिकार हो जाते हैं। कई लोगों की आंखों की रोशनी लापरवाही के कारण चली जाती है। इस तरह के मामले हर वर्ष सामने आते हैं। एमवाय अस्पताल में दो दिन में 11 लोग लापरवाही पूर्वक पटाखा फोड़ने के कारण आंखों में चोट लेकर पहुंचे हैं। इनमें से एक युवक तो Youtube के माध्यम से देशी पटाखा बनाना सीख रहा था, बनाते समय ही हाथ में बम फट गया।
विशेषज्ञों ने बताया कि नेत्र रोग विभाग में आंखों की चोट के मरीज आए। इनमें से तीन मरीजों को आंखों में गंभीर चोट है और उनकी दृष्टि भी खतरे में है। सभी का उपचार किया जा रहा है। सभी मामलों में लापरवाही के कारण ही चोट आई है। हमें सावधानी पूर्वक पटाखे जलाने चाहिए, ताकि हम चोट से बच सकें। पटाखों से होने वाली आंख की चोट सबसे खतरनाक होती है। समय पर इलाज न मिलने पर दृष्टि स्थायी रूप से जा सकती है। मरीजों का उपचार विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीति रावत के नेतृत्व में डॉ. श्वेता वालिया, डॉ. नीतू कोरी, डॉ. मनुश्री गौतम, डॉ. निहारिका आर्या आदि ने किया।
नौ वर्षीय बच्चा रॉकेट जलाते समय घायल हो गया। बच्चा चश्मा पहने हुए था लेकिन रॉकेट अचानक पास में फट गया और उसके टुकड़े आंख में घुस गए। इससे कॉर्निया और पुतली को गंभीर नुकसान पहुंचा, इसके चलते आपातकालीन सर्जरी की गई।
कार्बाइड गन का उपयोग त्योहारों में अब भी खतरनाक तरीके से किया जा रहा है। विस्फोट के दौरान तेज रासायनिक प्रतिक्रिया से एक युवक का चेहरा और आंख गंभीर रूप से झुलस गए। अभी उसे अस्पताल में भर्ती रखा है।
12 वर्षीय नाबालिग यूट्यूब देखकर घर पर देशी पटाखा बना रहा था, तभी अचानक से विस्फोट हो गया। हाथ में पटाखा फटने से हाथ के साथ ही आंख में भी गंभीर चोट आई है। अनियंत्रित रॉकेट सीधे आंख में घुस गया। पटाखों के धुएं व रासायनिक जलन से कॉर्निया डैमेज हो गया।
आंख में चोट लगे तो तुरंत पानी से धोएं।
साफ कपड़े से ढककर तुरंत अस्पताल पहुंचे।
आंख में काजल, घी, बर्फ, गिलोय, हल्दी न लगाएं।
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चश्मा पहनकर ही पटाखे जलाएं।
राकेट खुले में और सुरक्षित स्टैंड में ही जलाएं।
बच्चों को कभी अकेला न छोड़ें।
देशी बम व कार्बाइड गन पूरी तरह प्रतिबंधित और खतरनाक हैं।
हादसा हो तो पहले डॉक्टर के पास पहुंचे।