जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने साफ किया कि इंटरनेट पर तरह-तरह की सामग्री उपलब्ध है। इसमें से क्या देखना है और क्या नहीं देखना है, यह दर्शक की व्यक्तिगत अभिरुचि पर निर्भर है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इस टिप्पणी के साथ ओटीटी प्लेटफार्म अमेजन की वेब सीरीज तांडव के प्रसारण पर रोक की मांग संबंधी जनहित याचिका का पटाक्षेप कर दिया। हालांकि जनहित याचिकाकर्ता को सक्षम फोरम के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत करने स्वतंत्र कर दिया गया है।
राज्य शासन के अलावा अमेजान को पक्षकार बनाया गया : मामले की सुनवाई के प्रारंभ में पूर्व निर्देश के पालन में महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने हाई कोर्ट को अवगत कराया कि विचाराधीन जनहित याचिका से मिलती-जुलती मांग वाली जनहित याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट खारिज कर चुका है। यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। याचिका में अभिनेता सैफ अली खान, तिशमांशु धूलिया, गौरव सोलंकी, मोहम्मद जीशान अयूब, हिमांशु कृष्ण मेहरा, अली अब्बास जफर, अर्पणा पुरोहित, केंद्र व राज्य शासन के अलावा अमेजान को पक्षकार बनाया गया है।
कंटेंट आपत्तिजनक : जनहित याचिकार्ता जनपद पंचायत सागर के सदस्य, राइट टाउन, जबलपुर निवासी आदिव्य तिवारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर व समरेश कटारे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि ओटीटी प्लेटफार्म अमेजान प्राइम पर वेब सीरीज तांडव का प्रसारण हो रहा है। इसके कंटेंट आपत्तिजनक हैं। वेब सीरीज तांडव की टीम के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन जारी है। इस वेब सीरीज में हिंदू देवी-देवताओं को अनुचित तरीके से चित्रित किया गया है। पात्रों के मुंह से अश्लील व अभद्र संवाद कहलवाए गए हैं। इसके अलावा जातिगत टिप्पणियों की भी भरमार है। आरक्षण के बिंदु को शामिल करते हुए समाज में जातिगत संघर्ष को उकसाने का भी प्रयास किया गया है। किसान आंदोलन व जेएनयू के मुद्दे को भी वीएनयू की आड़ में उठाकर आजादी के नारे लगवाए गए हैं। साफ है कि यह वेब सीरीज दुर्भावना से प्रेरित है। आग्रह किया गया कि प्रसारण पर रोक लगाने के साथ ही वेब सीरीज को भी सेंसर के दायरे में लाए जाने की व्यवस्था दी जाए। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका का पटाक्षेप कर याचिकाकर्ता को सक्षम फोरम के समक्ष जाने स्वतंत्र कर दिया है।