नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। जबलपुर से रायपुर के बीच प्रस्तावित इंटरसिटी ट्रेन को लेकर एक बड़ा बदलाव सामने आ रहा है। पहले इस ट्रेन को मदन महल स्टेशन से चलाने की योजना थी, लेकिन अब इसे जबलपुर मुख्य स्टेशन से शुरू करने का प्रस्ताव रेलवे द्वारा तैयार किया गया है। इसके पीछे यात्री सुविधा और संचालन में आसानी को प्राथमिकता दी गई है। यदि रेलवे बोर्ड से मंजूरी मिलती है, तो ट्रेन की समय-सारिणी भी बदली जाएगी।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, मदन महल स्टेशन से फिलहाल कोई ट्रेन आरंभ नहीं होती, ऐसे में नई ट्रेन के संचालन के लिए यहां अतिरिक्त सुविधाएं जुटानी पड़तीं। सुबह के समय इस स्टेशन पर रेल यातायात का दबाव अधिक रहता है, वहीं, रायपुर इंटरसिटी जैसी ट्रेन को प्रदेश और शहर के विभिन्न हिस्सों से आने वाले यात्रियों की कनेक्टिविटी के लिहाज से जबलपुर जंक्शन से चलाना अधिक व्यावहारिक रहेगा।
यह भी पढ़ें: रायसेन से उज्जैन पहुंचकर करता था चोरी, 1 साल में 8 घर खंगाले, 10 लाख के सोने-चांदी हुए बरामद
फिलहाल जो समय-सारिणी तय की गई है, उसके अनुसार ट्रेन सुबह 6:10 बजे मदन महल से प्रस्थान कर दोपहर 1:50 बजे रायपुर पहुंचेगी। वापसी में यह रायपुर से दोपहर 2:45 बजे चलकर रात 10:10 बजे मदन महल पहुंचेगी। लेकिन यह यात्रा अवधि (लगभग 7 घंटे 40 मिनट) रेलवे के लिए चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है। जबलपुर-गोंदिया रूट पर पहले से ही ट्रेनों की क्रॉसिंग और कई जगहों पर ठहराव के चलते देरी की आशंका बनी रहती है। मदन महल की तुलना में जबलपुर मुख्य स्टेशन से ट्रेन संचालन से निगरानी आसान होगी, रखरखाव बेहतर हो सकेगा और यात्रियों को लंबी दूरी की कनेक्टिंग ट्रेनों तक पहुंचने में सहूलियत मिलेगी।
रेलवे सूत्रों के मुताबिक, पूर्व में प्रस्तावित वंदे भारत एक्सप्रेस या चांदाफोर्ट एक्सप्रेस के संशोधित समय को अपनाया जा सकता है। यदि यह ट्रेन जबलपुर मुख्य स्टेशन से चलाई जाती है तो यह सुबह 5 बजे प्रस्थान कर सकती है, जिससे तय समय पर रायपुर पहुंचना संभव होगा।
दूसरी ओर, यात्री संख्या में बढ़ोतरी से रेलवे की आय में भी इजाफा हुआ है। पश्चिम मध्य रेल के अंतर्गत अप्रैल और मई माह में 198.87 लाख यात्रियों ने यात्रा की, जिससे 416 करोड़ 7 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। यह पिछले वर्ष की तुलना में लगभग एक प्रतिशत अधिक है। जबलपुर रेल मंडल ने सबसे अधिक 163.15 करोड़ रुपये अर्जित किए, जबकि भोपाल मंडल ने 160.25 करोड़ और कोटा मंडल ने 92.67 करोड़ रुपये का योगदान दिया।