नईदुनिया प्रतिनिधि, रतलाम। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) इंदौर ने औद्योगिक थाना क्षेत्र के सेजावता में अल्प्राजोलम तैयार करने वाली एक अवैध प्रयोगशाला का भंडाफोड़ किया है। कार्रवाई में करीब 13.762 किलोग्राम अल्प्राजोलम पाउडर जब्त किया गया। अल्प्राजोलम डिप्रेशन के मरीजों को डॉक्टर के पर्चे पर दी जाती है, लेकिन इसका उपयोग स्मैक आदि में मिलावट के लिए किया जाता है। यह नारकोटिक्स ड्रग में शामिल है। एनसीबी की टीम ने आरोपित 51 वर्षीय रूपसिंह चौहान और 39 वर्षीय अभीजित सिंह चौहान को गिरफ्तार किया है। दोनों को रविवार को न्यायालय में पेश कर एनसीबी अपने साथ इंदौर लेकर रवाना हो गई। टीम ने लैब को सील कर दिया है।
एनसीबी जोनल निदेशक रीतेश रंजन ने बताया कि खुफिया सूचना के आधार पर शनिवार को टीम ने ग्राम सजेवता, महू-नीमच रोड स्थित एक गोदाम पर छापा मारा। मौके से नशीली दवा अल्प्राजोलम के अलावा बड़ी मात्रा में रासायनिक पदार्थ, उपकरण और साल्वेंट्स भी जब्त किए गए। जब्त किए गए उपकरणों में राउंड बाटम फ्लास्क, आयल बाथ, कंडेंसर, स्टिरर, थर्मामीटर आदि शामिल हैं। बरामद रासायनिक पदार्थों में एथाइल एसीटेट (7.5 लीटर), आइसोप्रोपाइल अल्कोहल (2.5 लीटर), टोल्यून (2.5 लीटर), मेथेनाल (40 लीटर), क्लोरोफार्म (7.5 लीटर), ग्लेशियल एसिटिक एसिड (500 मि.ली.), हाइड्रोक्लोरिक एसिड (500 मि.ली.), मैग्नीशियम सल्फेट (500 मि.ग्रा.), सोडियम बाइकार्बोनेट (522 ग्राम) और सोडियम क्लोराइड (500 ग्राम) शामिल हैं।
मनोचिकित्सक डॉ. कपिलदेव आर्य ने बताया कि अल्प्राजोलम का उपयोग नशे के रूप में तेजी से बढ़ा है। इसकी लत व्यक्ति को जल्दी लगती है। बगैर मनोचिकित्सक इस बेचना एनडीपीएस एक्ट में अपराध है। एअल्प्राजोलम का उपयोग दक्षिण भारत के तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में ताड़ी में तथा राजस्थान, मध्य प्रदेश और आसपास के इलाकों में हेरोइन में मिलावट के लिए किया जाता है। इस मिलावट से नशे की तीव्रता बढ़ती है और तस्करों को अवैध रूप से मुनाफ़ा बढ़ाने में मदद मिलती है। दोनों आरोपितों ने अपनी फार्मास्यूटिकल शिक्षा और तकनीकी अनुभव का दुरुपयोग करते हुए अल्प्राजोलम का अवैध निर्माण किया। वे इस नियंत्रित साइकोट्रापिक पदार्थ को बनाने के लिए वैज्ञानिक उपकरणों और रासायनिक पदार्थों का प्रयोग कर रहे थे।
एनसीबी की 10 लोगों की टीम ने शनिवार रात करीब 10 बजे महू-नीमच फोरलेन सेजावता पर फैक्ट्री पर दबिश दी। आरोपित मौके पर ही थे, जिन्हें दबोच लिया। आरोपितों ने किराए के अनुबंध में सेनेटाइजर बनाने की कंपनी का हवाला दिया गया था। आरोपियों के पास से केमिकल लाइसेंस मिला है, जो 2023 में ही खत्म हो चुका था। जिस गोदाम में केमिकल बनाया जा रहा था। उसके पीछे सीमेंट के ब्लॉक बनाने का कारखाना है। दोनों आरोपित रात में गोदाम में आना-जाना करते थे और गोदाम के ऊपरी हिस्से में केमिकल बनाने का काम करते थे। पास में दवा कंपनी होने से प्रयोगशाला के केमिकल की गंध दवा कंपनी की गंध में घुल जाती थी। जिससे किसी को अवैध प्रयोगशाला होने की शंका नहीं हुई।
थाना पुलिस को रविवार सुबह 11 बजे एनसीबी की कार्रवाई का मालूम हुआ। जिसके बाद थाना प्रभारी गायत्री सोनी टीम के साथ मौके पर पहुंची। एनसीबी की टीम ने लोकल पुलिस से दूरी बनाए रखी। फैक्ट्री सील करने और आरोपितों को गिरफ्तार करने के बाद एनसीबी कोर्ट पहुंची, जहां आरोपितों को पेश किया। कोर्ट ने आरोपितों का मेडिकल परीक्षण कराने के बाद एनसीबी को सौंप दिया। एनसीबी पिछले दो महीने से आरोपितों पर निगरानी रख रही थी।
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जांच में सामने आया कि दोनों आरोपित जनवरी 2025 से ग्राम सेजावता स्थित किराए के गोदाम में अल्प्राजोलम का अवैध निर्माण कर रहे थे। आरोपितों ने अपनी फार्मास्यूटिकल पृष्ठभूमि और उपकरणों का दुरुपयोग करते हुए यह अवैध कारोबार शुरू किया। आरोपितों के सप्लाई नेटवर्क, वित्तीय लेन-देन और संभावित अंतरराज्यीय गिरोहों की जांच की जा रही है। रूप सिंह चौहान ने इंदौर के निजी कालेज से बी. टेक किया है। पूर्व में धार में विल्सन फार्मा और रुड़की में श्रीधारा लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड सहित कई फार्मास्यूटिकल यूनिट संचालित कर चुका हैं। 2021 में तेलंगाना राज्य आबकारी विभाग द्वारा अल्प्राज़ोलम की वाणिज्यिक मात्रा की तस्करी के मामले में रूपसिंह संगारेड्डी जेल में बंद था, जहां से जमानत पर रिहा हुआ था। आरोपित अभिजीत सिंह चौहान ने इंदौर के निजी कालेज से बी. फार्मा की डीग्री की है। अभिजीत इंडियन रेड क्रास सोसायटी रतलाम से भी जुड़ा रहा है।