नईदुनिया प्रतिनिधि,रतलाम: रेलवे सिग्नलिंग तकनीक को बेहतर करते हुए मुंबई-दिल्ली रेलमार्ग पर रतलाम रेलमंडल के ‘ई’ कैबिन से नागदा जंक्शन के बीच 38 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर एक बार में ही ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली चालू कर दी गई है। शनिवार को सिर्फ छह घंटे के समय में यह काम पूरा कर लिया गया। इससे पहले रेलमंडल के कांसुधी–पिपलोद सेक्शन में 28 किमी में यह तकनीक लागू हो चुकी थी।
नए कमीशन के बाद अब रतलाम मंडल में ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग की कवरेज 66 किलोमीटर हो गई है। दरअसल दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर ट्रेनों की स्पीड 160 किमी प्रतिघंटा करने के लिए मिशन रफ्तार में ब्रिजों की मरम्मत, ओएचई रख-रखाव, सिगनलिंग सिस्टम में सुधार, कर्व री-अलाइनमेंट, एचबीम स्लीपर लगाने के साथ ही कवच सुरक्षा प्रणाली भी लागू की जा रही है। कवच 4.0 का ट्रायल मंडल के सेक्शन में हो चुका है। 303 किमी का वडोदरा-रतलाम-नागदा सेक्शन गैर ऑटोमैटिक था, जिसे अब ऑटोमैटिक किया जा रहा है।
रतलाम ई केबिन, बांगरोद, रूनखेड़ा, खाचरोद, बेड़ावन्या और नागदा स्टेशनों को एक साथ आटोमैटिक सिग्नलिंग से जोड़ दिया गया। मंडल रेल प्रबंधक अश्वनी कुमार के निर्देशन में वरिष्ठ मंडल संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर (समन्वय) आरएस. मीना और मंडल संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर (स्पेशल वर्क्स) दिव्या पारिक की देखरेख में टीम ने इसे रिकॉर्ड समय में पूरा किया।
यह तकनीक रेलवे के लिए भविष्य की रीढ़ कही जा रही है। इसमें इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग विजुअल डिस्प्ले यूनिट, सीमेंस डिजिटल एक्सल काउंटर और 100 प्रतिशत रेडंडेंसी वाली आइपीएस पावर सप्लाई जैसी सुविधाएं हैं।
पश्चिम रेलवे के मुंबई-दिल्ली रेलमार्ग पर वर्ष 2026 तक ट्रेनों की स्पीड 160 किमी प्रतिघंटा करने पर काम हो रहा है। इसमें सुरक्षा के लिए कवच प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। इसमें रतलाम-दाहोद-गोधरा तक कवच का ट्रॉयल हो चुका है। कवच सिस्टम में इंजन पर लगे सेंसर, जीपीएस सिस्टम से एक ही ट्रेक पर दो ट्रेनों के आमने-सामने आने पर स्वचलित ब्रेक लग जाते हैं।
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आरडीएसओ द्वारा विकसित कवच को ट्रेन टकरावों को रोकने, खतरे में सिगनल पासिंग से बचने में लोको पायलटों को सहायता मिलती है। ट्रेनें तय गति सीमा के भीतर चले और इसकी रियल टाइम निगरानी भी होगी। किसी भी सिगनल का उल्लंघन करने पर डेटा रिकार्ड में आ जाएगा। फोट-आटोमैटिक सिग्नलिंग के लिए लगाए गए उपकरण। फोटो-आटोमैटिक सिग्नल में एक स्क्रीन पर ही सभी ट्रेनों की स्थिति देखी जा रही है।