
नईदुनिया प्रतिनिधि, रीवा: मध्य-प्रदेश के रीवा जिले के सेमरिया क्षेत्र में भाजपा नेता दिवाकर द्विवेदी से जुड़े हनी ट्रैप मामले में एक नया वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में युवती आशी गौतम और प्रतीक सिंह एक साथ दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में युवती कैमरा देखते ही प्रतीक सिंह पर जबरदस्ती का आरोप लगाती नजर आती है। यह वीडियो उसी दिन का बताया जा रहा है, जिस दिन भाजपा नेता से संबंधित वीडियो वायरल हुआ था।
जांच में यह भी सामने आया है कि घटना के बाद युवती ने हाथ में पिस्टल लेकर फोटोशूट करवाया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आशी गौतम ने भाजपा नेता और प्रतीक सिंह के बीच संबंधों का फायदा उठाकर यह जाल बिछाया। बताया गया कि दिवाकर द्विवेदी, जमीन के लेन-देन के सिलसिले में प्रतीक सिंह के संपर्क में आए थे।
पुलिस ने इस मामले में अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 23 वर्षीय युवती आशी गौतम, प्रतीक सिंह, संदीप मिश्रा, और मालिक उर्फ विकास सिंह शामिल हैं। पूछताछ में युवती ने स्वीकार किया कि वह लगभग 20 हजार रुपए में वीडियो और फोटोशूट के लिए तैयार हुई थी। उसका कहना था कि भाजपा नेता खुद उससे मिलना चाहते थे और प्रतीक के माध्यम से यह संपर्क हुआ।
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि प्रतीक सिंह इस साजिश का मास्टरमाइंड था। वह दिवाकर द्विवेदी का पुराना परिचित था और दोनों के बीच चार साल पहले जमीन की खरीद-फरोख्त को लेकर विवाद हुआ था। दिवाकर ने प्रतीक से नौ एकड़ जमीन खरीदी थी, जिसके बाद भुगतान और अतिरिक्त जमीन को लेकर दोनों में मतभेद बढ़ गए। प्रतीक ने इसी दुश्मनी और आर्थिक लाभ के लिए हनी ट्रैप की योजना बनाई।
थाना प्रभारी विकास कपीस ने बताया कि फरार आरोपियों में पीयूष सिंह, रामकृपाल पांडेय, और शिखर सिंह शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि आरोपियों के कब्जे से अभी सभी मोबाइल फोन जब्त नहीं किए जा सके हैं, जिनमें वीडियो और तस्वीरें रिकॉर्ड की गई थीं।
जांच में यह भी सामने आया है कि प्रतीक सिंह पर पहले से गांजा तस्करी, बलात्कार और मारपीट जैसे गंभीर अपराध दर्ज हैं। पुलिस का कहना है कि उसने राजनीतिक प्रभाव और पुराने संपर्कों का इस्तेमाल कर भाजपा नेता को ब्लैकमेल करने की साजिश रची।
सूत्रों के अनुसार, इस गिरोह ने पिछले 15 दिनों से पूरी योजना तैयार की थी। प्रतीक ने अपनी प्रेमिका आशी गौतम को दिवाकर द्विवेदी से करीबी संबंध बनाने और उन्हें फंसाने की जिम्मेदारी दी थी। इसके बदले में उसे 20 हजार रुपए दिए गए। गिरोह के बाकी सदस्य इस पूरे घटनाक्रम में तकनीकी और आर्थिक मदद कर रहे थे।
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पुलिस ने कहा है कि यह मामला अब हनी ट्रैप और ब्लैकमेलिंग के साथ आपराधिक षड्यंत्र का रूप ले चुका है। जांच के बाद सभी फरार आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा और पूरे नेटवर्क का खुलासा किया जाएगा।
