
नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना: जिला अस्पताल की अव्यवस्थित स्वास्थ्य सेवाएं एक बार फिर गंभीर सवालों के केंद्र में हैं। रामपुर चौरासी निवासी साधना यादव को प्रसव पीड़ा बढ़ने पर बुधवार दोपहर लगभग 12 बजे जननी एक्सप्रेस 108 एम्बुलेंस से जिला अस्पताल लाया गया। लेकिन अस्पताल के बाहर पहुंचने के बाद भी करीब आधे घंटे तक स्ट्रेचर न मिलने के कारण प्रसुता को एम्बुलेंस में ही इंतजार करना पड़ा। स्थिति बिगड़ने पर महिला को अस्पताल परिसर में खड़ी एम्बुलेंस में ही बच्चे को जन्म देना पड़ा।
सूत्रों के अनुसार, अस्पताल पहुंचते ही साथ आई आशा कार्यकर्ता ने महिला को लेबर रूम तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर की तलाश शुरू की, लेकिन महिला वार्ड से लेकर लेबर रूम तक कोई भी स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं मिला। लेबर रूम स्टाफ ने बताया कि उनके पास केवल दो स्ट्रेचर हैं और दोनों पहले से मरीजों के लिए उपयोग में थे।
इस दौरान प्रसुता की पीड़ा लगातार बढ़ती रही। जननी 108 एम्बुलेंस के पायलट ने भी कई बार अस्पताल कर्मियों से स्ट्रेचर उपलब्ध कराने का अनुरोध किया, लेकिन किसी ने सहयोग नहीं किया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एम्बुलेंस स्टाफ को मजबूरी में वाहन के भीतर ही प्रसव कराना पड़ा।
अस्पताल परिसर में हुई इस अमानवीय घटना ने जिला अस्पताल की तैयारियों, संसाधनों और संवेदनशीलता की गंभीर कमी को उजागर कर दिया है। सवाल उठ रहा है कि जब आपातकालीन स्थिति में प्रसूताओं तक को स्ट्रेचर जैसी बुनियादी सुविधा नहीं मिल पा रही, तो स्वास्थ्य सेवाओं के दावों की हकीकत आखिर कितनी मजबूत है?
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