
नईदुनिया प्रतिनिधि, सीहोर। कोठरी स्थित वेल्लोर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (वीआईटी) विद्यार्थियों को जो पानी पिला रहा था, उसमें बीमार करने वाले बैक्टीरिया थे। इसका खुलासा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) की जांच में हुआ है। पीएचई ने 25 नवंबर को हुए हंगामे और आगजनी के बाद विद्यार्थियों के आरोपों की जांच के लिए पानी के ये नमूने लिए थे।
पीएचई विभाग द्वारा लिए गए पानी के 18 नमूनों में से चार में बैक्टीरिया की उपस्थिति मिली है। इसके अलावा कोलोनी फार्मिग यूनिट (सीएफयू) की गंभीर कमी भी पाई गई है। सीएफयू की कमी का अर्थ है कि पानी में बैक्टीरिया नियंत्रण से बाहर हैं और पानी पीने योग्य नहीं है।
समिति ने बताया कि ऐसी स्थिति में हैजा, टाइफाइड, पीलिया, गंभीर डिहाइड्रेशन, खून में आक्सीजन की कमी (मेथेमोग्लोबिनेमिया) और रासायनिक प्रदूषण से कैंसर तक का खतरा बढ़ सकता है।

सीहोर के VIT College में 4 हजार से ज्यादा छात्रों ने मचाया उत्पात, गाड़ियों में तोड़फोड़ कर लगाई आग
25 नवंबर की रात विश्वविद्यालय परिसर में पानी और भोजन की खराब गुणवत्ता को लेकर हालात बिगड़ गए थे। करीब चार हजार छात्रों ने हंगामा शुरू किया और देखते ही देखते बसें, कारें और एम्बुलेंस आग की चपेट में आ गईं। छात्रों ने आरोप लगाया था कि 100 से अधिक विद्यार्थी पीलिया से पीड़ित होकर अस्पतालों में भर्ती हैं, लेकिन प्रबंधन लापरवाही बरत रहा है।
शनिवार को आई रिपोर्ट में साफ हो गया है कि विद्यार्थियों की शिकायत सही थी। प्रबंधन इस मामले में अनदेखी कर रहा था। प्रशासनिक पूछताछ में प्रबंधन ने बताया कि एक से 24 नवंबर के बीच 23 छात्रों और 12 छात्राओं को पीलिया की शिकायतें आई थीं। समिति ने जब उनकी जांच और इलाज का रिकार्ड मांगा तो प्रबंधन कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा सका।

पानी के 18 नमूने लिए थे, जिनमें से चार फेल हुए हैं। कॉलोनी फार्मिंग यूनिट की मात्रा केवल 10 प्रतिशत रही। इससे उल्टी-दस्त व हैजा जैसे रोग फैल सकते हैं।
प्रदीप सक्सेना, ईई पीएचई