
नईदुनिया प्रतिनिधि शिवपुरी। कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित एडीएम कार्यालय में गुरुवार की दोपहर लोकायुक्त की टीम ने एडीएम के स्टेनो को पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह रिश्वत जमीन के रिकॉर्ड में करेक्शन के नाम पर ली गई थी। पुलिस ने आरोपित के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्रकरण कायम कर मामले की विवेचना शुरू कर दी है।
जानकारी के अनुसार कोलारस अनुभाग की रन्नौद तहसील के ग्राम श्रीपुरचक निवासी मनमोहन पड़रया की 50 बीघा जमीन कुछ साल पहले सरकारी दस्तावेजों में किसी ज्ञान सिंह के नाम पर दर्ज हो गई थी। सरकारी दस्तावेजों में नाम दुरूस्तीकरण के लिए प्रकरण मनमोहन पड़रया के पुत्र ध्यानेंद्र सिंह पड़रया द्वारा कोलारस एसडीएम के न्यायालय में लगाया था, परंतु दस्तावेजों में नाम बदले पांच साल से अधिक हो जाने के कारण प्रकरण एडीएम न्यायालय भेज दिया गया।
यहां पर ध्यानेंद्र सिंह पड़रया के इस केस के लिए एक डिप्टी कलेक्टर द्वारा भी सिफारिश लगाई गई परंतु इसके बावजूद रिकार्ड दुरूस्त करने के लिए 20 हजार रुपये की रिश्वत मांगी गई। बताया जा रहा है कि ध्यानेंद्र सिंह पड़रया ने खुद के भाजपा कार्यकर्ता होने का हवाला दिया बावजूद इसके उसका काम नहीं किया गया। अंतत: वह मांगी गई रिश्वत देने के लिए तैयार हो गया।
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ध्यानेंद्र सिंह पड़रया के अनुसार उसने एक बार पांच हजार रुपये एडीएम के स्टेनो मोनू शर्मा को दिए। इसके बाद 9 दिसम्बर 2025 को लोकायुक्त एसपी को मामले की शिकायत दर्ज करवाई तथा 10 दिसम्बर को रिश्वत की दूसरी किश्त के रूप में 10 हजार रुपये मोनू शर्मा को दिए और लोकायुक्त द्वारा प्रदान की गई डिवाइस में उन्हें ट्रेप कर लिया।
11 दिसम्बर को निर्धारित समय पर ध्यानेंद्र सिंह पड़रया शेष बची पांच हजार रुपये की रिश्वत देने के लिए एडीएम कार्यालय में स्थित मोनू शर्मा के केबिन में पहुंचे और उनके हाथ में पांच हजार रुपये की रिश्वत दी। इसी दौरान लोकयुक्त की टीम ने उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। डीएसपी विनोद सिंह कुशवाह ने बताया कि मोनू शर्मा के हाथ धुलवाए गए तो पानी गुलाबी हो गया। पुलिस ने मोनू शर्मा को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं में प्रकरण कायम कर मामले की विवेचना शुरू कर दी है।