
नईदुनिया प्रतिनिधि शिवपुरी/पोहरी। पोहरी विकासखंड में सोमवार की एक प्रसूता को जननी एक्सप्रेस नहीं मिलने के कारण प्रसूता का जंगल में ही प्रसव हो गया। उसने एक बेटी को जन्म दिया। प्रसूता और नवजात को उपचार के लिए पोहरी स्वास्थ्य केंद्र भर्ती करवाया गया है। दोनों की हालत सामान्य बताई जा रही है।
जानकारी के अनुसार सोमवार की सुबह ग्राम छर्च निवासी मंजू पत्नी राजू जाटव उम्र 30 साल को प्रसव पीड़ा हुई तो उसके स्वजन उसे प्रसव के लिए छर्च प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार के लिए लेकर पहुंचे। प्रसूता के स्वजनों के अनुसार वहां मौजूद स्वास्थ्य अमले ने प्रसव करवाने का कोई प्रयास नहीं किया, सिर्फ कागज देखकर प्रसव को हाई रिस्क प्रेगनेंसी बताकर रेफर कर दिया। इतना ही नहीं छर्च स्वास्थ्य केंद्र पर मौजूद नर्सिंग स्टाफ ने दो बार जननी एक्सप्रेस को फोन लगाया, परंतु इसके बाद भी जननी एक्सप्रेस प्रसूता को लेने के लिए नहीं पहुंची। अंत में प्रसूता के स्वजनों ने एक निजी वाहन किराए पर लिया और प्रसूता को पोहरी उप स्वास्थ्य केंद्र लाने लगे, इसी दौरान आधे रास्ते में ही प्रसूता मंजू की प्रसव पीड़ा बढ़ गई और उसका गर्भस्थ शिशु स्वतः बाहर आने लगा। परिणाम स्वरूप जंगल में ही गाड़ी को रोका गया और सड़क पर प्रसव करवाया गया।
प्रसूता के स्वजनों का आरोप है कि अगर छर्च स्वास्थ्य केंद्र पर मौजूद स्टाफ थोड़ा भी प्रयास करता या फिर उन्हें जननी एक्सप्रेस उपलब्ध हो जाती तो आज बीच जंगल में सड़क पर प्रसव नहीं करवाना पड़ता। वहीं इस पूरे मामले में जब पोहरी बीएमओ डॉ. दीक्षांत गुदेनिया से बात की गई तो उनका कहना था कि उनके स्टाफ ने सुबह 8:13 बजे व 8:37 बजे पर एम्बुलेंस को काल किया था, अंत में प्रसूता की गंभीर हालत को देखते हुए स्वजनों को सलाह दी गई कि आप अपने निजी वाहन से प्रसूता को पोहरी ले जाएं। बकौल डॉ. दीक्षांत अगर समय पर एम्बुलेंस पहुंच जाती तो निश्चित तौर पर ऐसी सड़क पर प्रसव कराने की स्थिति नहीं बनती, क्योंकि एम्बुलेंस में रास्ते में प्रसव होने की स्थिति के लिए भी प्रसव संबंधी संसाधन उपलब्ध होते हैं।
जिस प्रसूता को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी बताकर रेफर किया गया, उसे रास्ते में बिना किसी चिकित्सकीय देखरेख के बावजूद सामान्य प्रसव होने को लेकर जब पोहरी बीएमओ से बात की गई तो उनका स्पष्ट रूप से कहना था कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रेफरल सेंटर ही होते हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यह प्रसव छर्च और पोहरी में भी पूरी तरह से सामान्य प्रसव हो सकता था। उनके अनुसार इस मामले में प्रसूता के स्वजनों पर जो सोनोग्राफी रिपोर्ट थी उसने में प्लासेंटा में क्लाट बताया गया था। इसके अलावा जिस महिला को दो से ज्यादा सामान्य प्रसव हो जाते हैं, उसे मल्टी ग्रेवड़ा कहा जाता है और हाई रिस्क प्रेग्नेंसी माना जाता है, इसी के चलते यह प्रसूता हाई रिस्क प्रसव माना गया। चूंकि प्रसूता के डाइलेशन (गर्भाश्य ग्रीवा का खुलना) दो सेमी था। ऐसे में नियमानुसार उसे रेफर किया जा सकता था। यही कारण रहा कि उसे रेफर किया गया।
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यहां बताना होगा कि प्रसूता को जननी एक्सप्रेस नहीं मिलने का यह पहला मामला नहीं है, इससे पूर्व भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, परंतु इसके बावजूद जिम्मेदारों द्वारा जननी एक्सप्रेस के संचालकों व स्टाफ पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। यहां बताना होगा कि जिला अस्पताल से भी जननी एक्सप्रेस के चालक सिर्फ उन्हीं प्रसवों को प्रसवोरांत वापस उनके गांव तक छोड़ते हैं, जिनके स्वजन उन्हें पैसा देते हैं। अन्यथा की स्थिति में कोई न कोई बहाना बनाकर केस को डिले किया जाता है। जननी एक्सप्रेस के चालकों द्वारा पैसा वसूल करने के दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कोई ठोस कार्रवाई आज तक नहीं की गई।