सालों से बंद पड़ी 93 साल पुरानी लाइब्रेरी, हेरिटेज स्वरूप किया जाएगा पुनर्जीवित, ओरछा रियासत में भी बढ़ेगा टूरिज्म और एजुकेशन हब
93 साल पुरानी ओरछा रियासत की ऐतिहासिक लाइब्रेरी, जो टीकमगढ़ के महेंद्र सागर तालाब के किनारे स्थित एक किले में मौजूद है, अब फिर से जीवंत होने जा रही है। मध्य प्रदेश की इस अनमोल धरोहर को हेरिटेज स्वरूप देने की तैयारी शुरू हो गई है। जिला कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय की पहल पर बंद पड़ी इस लाइब्रेरी को फिर से खोला गया, जहां रियासतकालीन दुर्लभ पुस्तकें और दस्तावेज मिले हैं।
By Himadri Hada
Edited By: Himadri Hada
Publish Date: Sat, 07 Jun 2025 07:04:33 PM (IST)
Updated Date: Sat, 07 Jun 2025 07:25:46 PM (IST)
ओरछा रियासत की 93 वर्ष पुरानी लाइब्रेरी को मिलेगा हेरिटेज स्वरूप।HighLights
- ओरछा रियासत की 93 साल पुरानी लाइब्रेरी को मिलेगा हेरिटेज रूप।
- सालों से बंद पड़ी इस ऐतिहासिक लाइब्रेरी में मिली कई दुर्लभ किताबें।
- टीकमगढ़ के कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय ने की लाइब्रेरी खोलने की पहल।
मनीष असाटी, नईदुनिया, टीकमगढ़। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित 93 साल पुरानी ओरछा रियासत की ऐतिहासिक लाइब्रेरी अब एक नई पहचान की ओर बढ़ रही है। यह लाइब्रेरी जो सालों से बंद पड़ी थी, उसे अब हेरिटेज स्वरूप में पुनर्जीवित किया जा रहा है। कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय की पहल पर यहां संरक्षित ऐतिहासिक पुस्तकों और दस्तावेजों को डिजिटल किया जाएगा। साथ ही, इसे टूरिज्म व एजुकेशन हब के रूप में भी विकसित किया जाएगा।
सालों से बंद थी ओरछा रियासत की ऐतिहासिक लाइब्रेरी
टीकमगढ़ के महेंद्र सागर तालाब के किनारे बने किले में एक बेहद खास और ऐतिहासिक लाइब्रेरी है, जिसे ओरछा रियासत ने साल 1932 में शुरू किया था। यह लाइब्रेरी बीते 25 सालों से बंद थी, लेकिन अब इसे दोबारा खोला गया है और हेरिटेज रूप देने की तैयारी चल रही है। इसकी पहल खुद टीकमगढ़ के कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय ने की है, जिन्होंने अप्रैल 2025 में इसे पहली बार देखा और इसकी विरासत को पहचानने का फैसला किया।![naidunia_image]()
ASI की टीम ने किया सर्वे
लाइब्रेरी को खोलते ही कई ऐतिहासिक और दुर्लभ किताबें सामने आईं। इसमें विज्ञान, इतिहास, साहित्य और कला से जुड़ी बेहद पुरानी किताबें मिलीं, जिनमें कुछ पर राजशाही की मुहर भी है। किताबों की हालत देखकर कलेक्टर ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम से सर्वे कराया और अब लाइब्रेरी को दो चरणों में सहेजने की योजना बनाई गई है।
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लाइब्रेरी में मिली कई दुर्लभ किताबें
- - फैलिक्स टोपोल्सकी, जो पोलेंड में जन्मे बिट्रिश आर्टिस्ट थे और द्वितीय विश्व युद्ध के वार आर्टिस्ट थे, उनके द्वारा रचित एक अनमोल संस्करण ”स्कैचेस आफ गांधी” भी इस लाइब्रेरी का अंग है। यह पुस्तक टोपोल्सकी ने 1944 में भारत भ्रमण के दौरान लिखी थी।
- 1899 की रूल्स आफ इंडिया पुस्तक भी मिली है, जिसके लेखक अर्ल कैनिंग हैं । यह पुस्तक आक्सफोर्ड लंदन के द क्लेरेंडन प्रेस से प्रकाशित हुई।
- 1911 में केआर खोसला द्वारा लिखी गई ”द स्टेट्स, एस्टेट्स एंड हू इज हू इन इंडिया एंड वर्मा” पुस्तक भी मिली है, जो द इंपीरियल पब्लिकेशन कं. लाहौर द्वारा 1942 में प्रकाशित की गई थी।
- 1930 में आक्सफोर्ड के द क्लेरेंडन प्रेस से प्रकाशित विसेंट ए स्मिथ द्वारा लिखित ए हिस्ट्री आफ फाइन आर्ट इन इंडिया एंड सीलोन।
- 1909 में कोलकाता से प्रकाशित ए कलेक्शन आफ ट्रीटीज, इंगेजमेंट एंड सनद्स रिलीडिंग टू इंडिया एंड नेवरिंग कंट्रीज पुस्तक मिली।
जिला कलेक्टर ने क्या कहा?
कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय ने बताया कि लाइब्रेरी को न सिर्फ हेरिटेज साइट के तौर पर सहेजा जाएगा, बल्कि इसे डिजिटल करके आम जनता के लिए भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार कर शासन को भेज दी गई है।
बुंदेलखंड के इतिहास, साहित्य और संस्कृति की झलक दिखाने वाली यह लाइब्रेरी भविष्य में पूरे भारत के लिए एक खास हेरिटेज स्थान बन सकती है।